निजी क्षेत्र की दूरसंचार कंपनी एयरटेल के उपाध्यक्ष और प्रबंध निदेशक गोपाल विट्ठल ने कहा कि कंपनी अपने समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) बकाया को इक्विटी में तब्दील किए जाने के लिए केंद्र सरकार के साथ लगातार बातचीत कर रही है। उन्होंने दूसरी दूरसंचार कंपनियों के साथ किए गए व्यवहार की मांग की।
चालू वित्त वर्ष की जून तिमाही के वित्तीय नतीजे जारी करने के दौरान सुनील मित्तल की दूरसंचार कंपनी के शीर्ष अधिकारी ने कहा, ‘हमने दूसरी दूरसंचार कंपनियों की तरह ही राहत के लिए सरकार को लिखा है और इस पर फैसला सरकार को करना है। सरकार जो भी निर्णय लेगी हम उसको मानेंगे। ‘
देश की दूसरी सबसे बड़ी दूरसंचार कंपनी ने दूरसंचार विभाग से अपने करीब 40,000 करोड़ रुपये के एजीआर बकाया को इक्विटी में तब्दील करने के लिए अनुरोध किया था। ठीक उसी तरह जैसे वोडाफोन-आइडिया के साथ हुआ, जहां सरकार ने सितंबर 2021 में दूरसंचार क्षेत्र के लिए जारी राहत पैकेज के तौर पर उसके 36,950 करोड़ रुपये के बकाया एजीआर को इक्विटी में तब्दील कर करीब 49 फीसदी हिस्सेदारी ले ली। पैकेज में सभी दूरसंचार कंपनियों को स्पेक्ट्रम भुगतान पर चार साल की मोहलत दी गई थी।
एयरटेल ने कहा था कि बकाये एजीआर को शेयर में तब्दील करने से सरकार को कंपनी में 3 से 4 फीसदी हिस्सेदारी मिल जाएगी। सरकार को सालाना आधार पर एजीआर का भुगतान अगले साल यानी मार्च 2026 से शुरू होगा। विट्ठल ने कहा कि एयरटेल अपनी देनदारियों को चुकाने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा, ‘उस हद तक हमारी बैलेंस शीट की मजबूती के आधार पर जरूरी देनदारियां चुकाने की गुंजाइश है क्योंकि ऋण की स्थिति बेहतर हो रही है और समय के साथ हमारे पास काफी नकद होगा।’ जून तिमाही के अंत तक एयरटेल का नकद प्रवाह 11,928 करोड़ रुपये था।
शीर्ष अधिकारी ने कहा कि कंपनी लाभांश बढ़ाएगी और अपने क्लाउड, सुरक्षा और डेटा सेंटर कारोबारों को आगे बढ़ाने पर विचार करेगी, क्योंकि कंपनी का ऋणबोझ कम हो रहा है। जून तिमाही के अंत तक एयरटेल पर 1.9 लाख करोड़ रुपये का ऋण है जो एक तिमाही पहले के 1.87 लाख करोड़ रुपये से अधिक है।