इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ऑनलाइन गेमिंग को विनियमित करने के लिए नीति को अंतिम रूप देने में लगा है। इसके तहत देश में सभी रियल-मनी गेम (असली पैसों से खेला जाने वाला ऑनलाइन गेम) के लिए आयु सत्यापन तंत्र और अपने ग्राहक को जानें (केवाईसी) मानदंड अनिवार्य किए जा सकते हैं। मामले से वाकिफ सूत्रों ने इसकी जानकारी दी।
इन नियमों का उद्देश्य असली पैसे से खेले जाने वाले गेम में उपयोगकर्ता की सुरक्षा और वित्तीय नुकसान की चिंता दूर करना है। इन प्रावधानों को सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 में शामिल किया जाएगा। मामले से अवगत एक शख्स ने कहा कि मंत्रालय ऑनलाइन गेमिंग उद्योग के लिए स्व-नियामक संगठन (एसआरओ) के गठन की भी सिफारिश कर सकता है। यह नीति दो से तीन हफ्ते में जारी की जा सकती है।
उद्योग के संगठन ऑल इंडिया गेमिंग फेडरेशन (एआईजीएफ) के अनुसार वर्तमान में इस उद्योग का आकार करीब 2.2 अरब डॉलर का है, जिसके वित्त वर्ष 2026 तक 7 अरब डॉलर पर पहुंचने का अनुमान है। असली पैसों से खेले जाने वाले ऑनलाइन गेम का बाजार वर्तमान में सालाना 27 फीसदी चक्रवृद्धि दर से बढ़ रहा है, जो इसे 24 अरब डॉलर के मीडिया एवं मनोरंजन बाजार में सबसे तेजी से बढ़ने वाला सेगमेंट बनाता है।
कार्ड, कसीनो और फैंटसी स्पोर्ट्स जैसे खेलों के तेजी से प्रसार के बाद युवाओं में इसकी लत लगने और वित्तीय नुकसान के साथ ही आत्महत्या के कुछ मामलों के सामने आने पर यह उद्योग जांच के दायरे में आया है। एक सूत्र ने कहा, ‘आयु सत्यापन के कुछ तरीकों को लागू होने से नियमानुसार 18 वर्ष से कम आयु के उपयोगकर्ताओं की असली पैसों से खेले जाने वाले गेम्स तक पहुंच नहीं होगी। यह संभावना या संयोग-आधारित या कौशल-आधारित सभी तरह के खेलों पर लागू होगा।’
उद्योग के हितधारक नियम बनाने की प्रक्रिया के दौरान कौशल-आधारित खेलों और संभावना-आधारित खेलों के बीच अंतर तय करने की मांग कर रहे हैं। कंपनियों का तर्क है कि कौशल के खेल में सफलता ज्ञान, प्रशिक्षण, ध्यान, अनुभव और खिलाड़ी की निपुणता पर निर्भर करती है जबकि संयोग का खेल जुए के समान हो सकता है। सर्वोच्च अदालत ने भी 1957 से कई मामलों में इस अंतर को बरकरार रखा है।
उक्त शख्स ने कहा कि लत लगने के जोखिम को कम करने के मकसद से गेमिंग प्लेटफॉर्मों को उपयोग के एक निश्चित समय के बाद चेतावनी भी प्रदर्शित करनी होगी। अन्य प्रमुख प्रावधानों में गेमिंग प्लेटफॉर्म से पैसा जमा करने और निकालने के लिए सुरक्षा मानदंड शामिल किए जाएंगे।
एआईजीएफ के अनुसार करीब 45 से 40 लाख गेमर्स गेमिंग प्लेटफॉर्म पर गेम खेलने के लिए भुगतान करते हैं। कुल ऑनलाइन गेमर्स में से करीब 18 फीसदी 5 से 14 वर्ष आयु वर्ग के होते हैं। तकरीबन 900 गेमिंग कंपनियां हैं, जो नई नीति के तहत सख्त नियमन के दायरे में आएंगी। इनमें एमपीएल और ड्रीम 11 जैसी यूनिकॉर्न भी शामिल हैं। इन दोनों कंपनियों के करीब 10-10 लाख उपयोगकर्ता हैं।
केंद्र सरकार ने मई 2022 में ऑनलाइन गेमिंग उद्योग के लिए नियमन बनाने और इस क्षेत्र पर नजर रखने के लिए एक नोडल मंत्रालय की पहचान करने के मकसद से अंतर-मंत्रालय कार्यबल का गठन किया था। रॉयटर्स के अनुसार अंतर-मंत्रालय कार्यबल ने एक नए राष्ट्रीय ऑनलाइन गेमिंग कानून की सिफारिश की थी, जो सरकार को प्रतिबंधित गेमिंग प्रारूपों को ब्लॉक करने के अधिकार देगा और दंड के प्रावधानों के साथ नियमन में लचीलापन प्रदान करेगा।