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एडवर्ब लगाएगी सबसे बड़ी वैश्विक मोबाइल रोबोट फैक्टरी

Last Updated- December 11, 2022 | 8:12 PM IST

नोएडा स्थित एडवर्ब टेक्नोलॉजीज दुनिया की सबसे बड़ी मोबाइल रोबोटिक्स फैक्टरी लगा रही है, जिसकी क्षमता हर साल 5 लाख रोबोट विनिर्माण की होगी। यह अपने आकार के हिसाब से इस क्षेत्र में चीन की बड़ी कंपनियों को टक्कर देगी। कंपनी जटिल रोबोट बनाने में भारत की सॉफ्टवेयर महारत का इस्तेमाल कर रही है ताकि वैश्विक बाजार को आपूर्ति की जा सके और वैश्विक प्रतिस्पर्धी कंपनियों को टक्कर दी जा सके।
एडवर्ब के पीछे रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड खड़ी है, जिसने इस कंपनी में 54 फीसदी हिस्सेदारी के लिए 13.2 करोड़ डॉलर का निवेश किया है। एडवर्ब टेक्नोलॉजीज की स्थापना 2016 में हुई थी। इसने अगले पांच साल में दुनिया के शीर्ष पांच मोबाइल रोबोटिक्स विनिर्माताओं में शुमार होने का लक्ष्य तय किया है।
फिलहाल कंपनी के ज्यादातर एप्लीकेशन बढ़ते मैटेरियल हैंडलिंग क्षेत्र में हैं। लेकिन एडवर्ब ने अगले डेढ़ साल में तेजी से बढ़ते दो अन्य क्षेत्रों- नॉन-इन्वेसिव रोबोटिक्स सर्जरी और रोबोट की सहायता से हवाई अड्डों पर सामान को संभालने के क्षेत्र में उतरने की योजना बनाई है। यह एक डॉक्टर की निगरानी में अल्ट्रासाउंड जांच में रोबोटिक्स के इस्तेमाल के लिए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के साथ प्रायोगिक परीक्षण कर चुकी है।
मोबाइल रोबोट निर्देशों का पालन कर सकते हैं और चल-फिर सकते हैं। इनका वैश्विक बाजार इस समय करीब 5 अरब डॉलर है, जिसमें तेजी से बढ़ोतरी होने के आसार हैं। एडवर्ब टेक्नोलॉजीज के सह-संस्थापक सतीश शुक्ला ने कहा, ‘हम अगले पांच साल के दौरान 1 अरब डॉलर का राजस्व पर पहुंचना चाहते हैं। हम मोबाइल रोबोटिक्स में शीर्ष पांच कंपनियों में शामिल होंगे और हमारी वैश्विक बाजार में कम से कम 10 से 15 फीसदी हिस्सेदारी होगी। हम दुनिया की सबसे बड़ी मोबाइल रोबोटिक्स फैक्टरी बना रहे हैं। अगर यह बड़ी नहीं तो कम से कम चीन की फैक्टरी के बराबर जरूर है। हमारा लक्ष्य है कि 60 फीसदी राजस्व विदेश से और शेष भारत से आए।’
शुक्ला ने कहा, ‘कंपनी चीन की कंपनियों को टक्कर देने को तैयार है क्योंकि हम ज्यादा जटिल समाधान मुहैया कराने में भारत की सॉफ्टवेयर में महारत का इस्तेमाल कर सकते हैं और रोबोट की लागत में 40 से 60 फीसदी हिस्सा सॉफ्टवेयर का है।’
हालांकि पिछले वित्त वर्ष में भारत में केवल 1,500 रोबोट ही बिके, जिनमें मोबाइल रोबोट ऑटोमेटेड, गाइडेड व्हीकल और सॉर्टिंग रोबोट शामिल हैं। शुक्ला का कहना है कि प्रायोगिक परीक्षण सफल रहने के बाद ग्राहकों के ऑर्डर 10 से 20 गुना बढ़ते हैं क्योंकि वे अपना पूरा परिचालन रोबोट पर स्थानांतरित करना चाहते हैं, इसलिए क्षमता बनाने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि एडवर्ब की फैक्टरी की मौजूदा क्षमता 50,000 रोबोट के विनिर्माण की है, जिसके पास 18 महीने बाद तक के ऑर्डर हैं। कंपनी का विनिर्माण मॉडल ब्लूप्रिंट अंतिम रूप दिए जाने की प्रक्रिया में है। इससे ग्रेटर नोएडा में उन उत्पादों के विनिर्माण के लिए एक बड़ी फैक्टरी बनाना संभव होगा, जिनके बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होता है। इसके बाद एडवर्ब ने उत्तर अमेरिका, पश्चिम एशिया, अफ्रीका, यूरोप जैसी जगहों पर छोटी फैक्टरियां लगाने की योजना बनाई है, जिससे किसी भौगोलिक क्षेत्र विशेष के हिसाब से रोबोट बनाने में मदद मिलेगी।
शुक्ला ने कहा कि कंपनी के पहले ही 100 से अधिक बड़े ग्राहक हैं, जिनमें एमेजॉन, फ्लिपकार्ट, आईटीसी, यूनिलीवर, मैरिको, ब्रिटेन में ग्रो फ्रेश, पश्चिम एशिया में पेप्सिको आदि शामिल हैं। इसने हाल में अमेरिका, नीदरलैंड्स, ऑस्ट्रेलिया और सिंगापुर में बिक्री कार्यालय खोले हैं।
शुक्ला ने कहा कि कंपनी अन्य स्टार्टअप की तरह केवल ग्राहक बनाने पर ही भारी नकदी खर्च नहीं कर रही है, इसलिए कंपनी के पास अगले तीन वित्त वर्षों के लिए पर्याप्त नकदी है। इसलिए इसका जोर मूल्यांकन पर नहीं है क्योंकि एडवर्ब रिलायंस को केवल एक निवेशक नहीं बल्कि एक रणनीतिक साझेदार मानती है।

First Published - April 5, 2022 | 11:26 PM IST

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