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मंदी ने बिगाड़ दिया विज्ञापन उद्योग का ‘फेस्ट’

Last Updated- January 04, 2009 | 11:31 PM IST

मंदी की मार ने किसी भी क्षेत्र को नहीं छोड़ा है।?इसका असर देश-विदेश में आयोजित होने वाले समारोहों पर भी पड़ रहा है और विज्ञापन एजेंसियां इसकी शिकार हो रही हैं।


देश की अग्रणी विज्ञापन एजेंसी लियो बर्नेट के चेयरमैन (भारतीय उपमहाद्वीप) अरविंद शर्मा ने बताया कि इस साल कान में कं पनी की तरफ से एक -दो प्रतिनिधि ही जाएंगे। दरअसल मंदी के कारण कंपनियों पर लागत घटाने का दबाव बढ़ता जा रहा है।

शर्मा ने बताया, ‘कान और विज्ञापन जगत के अंतरराष्ट्रीय आयोजनों में लोगों को भेजने से अंतरराष्ट्रीय विज्ञापन जगत की उनकी समझ बढ़ती है।’ इसीलिए लियो बर्नेट हर साल कान में 8 और थाईलैंड में होने वाले ऐडफेस्ट में 5 प्रतिनिधि भेजती थी।

लेकिन इस साल हालात काफी अलग हैं। शर्मा ने बताया कि मौजूदा हालात में ग्राहक कंपनियां कितना खर्च करेंगी इस बारे में कुछ भी कह पाना फिलहाला मुश्किल है।

इस साल विज्ञापन कंपनियां कॉन्स लॉयन्स इंटरनेशनल एडवरटाइजिंग फेस्टिवल में भेजे जाने वाले प्रतिनिधियों की संख्या काफी कम कर रही हैं।

इसका आयोजन 13-24 मई के दौरान फ्रांस में किया जाएगा। यूरो आरएससीजी की मुख्य कार्याधिकारी सुमन श्रीवास्तव ने बताया कि इस साल कंपनी किसी भी आयोजन में नहीं जाएगी।

श्रीवास्तव ने बताया, ‘हमारे यहां से किसी भी अवॉर्ड फेस्टिवल में कोई नहीं जा रहा है।’ कंपनी ने इन आयोजनों में अपने आवेदनों के बजट में 25-30 फीसदी की कटौती करने का फैसला किया है।

जबकि कुछ साल पहले हालात इससे बिल्कुल उलट थे। तब भारतीय विज्ञापन कंपनियां कान्स और विज्ञापन जगत के बाकी आयोजनों में अपनी मौजूदगी दर्ज कराती थी। भारतीय कंपनियों को मिले अवॉर्डों के कारण ही कई विज्ञापन कंपनियां तो हर साल फ्रैंच रिविएरा में जाया करती थी।

उद्योग विशेषज्ञों ने कहा कि इस साल अगर कान के दौरान आपको विज्ञापन जगत की बड़ी हस्तियां देश में ही दिख जाएं तो कोई आश्चर्य की बात नहीं है। कई कंपनियां इन आयोजनों में जाने वाले अपने प्रतिनिधियों की संख्या घटा रही हैं।

कान 2008 में ऑगिल्वी ऐंड मेथर की ओर से 20, रिडिफ्यूजन, लोव, जेडब्ल्यूटी और लियो बर्नेट की ओर से 15-15 प्रतिनिधि गए थे।लेकिन इस साल जिन कंपनियों के प्रतिनिधि यहां जा रहे हैं वे भी आवेदनों में कमी और प्रतिनिधि मंडल पर होने वाले खर्च में कटौती कर रही हैं।

कान में हिस्सा लेने के लिए एक प्रतिनिधि पर करीब 5 लाख रुपये का खर्च आता है। साल 2008 में रिडिफ्यूजन ने कान में 12 लोगों का प्रतिनिधिमंडल भेजा था। यह प्रतिनिधि मंडल बिजनेस क्लास से फ्रांस गया था और वहां के सबसे अच्छे होटलों में से एक में रुका था।

कंपनी के मुख्य क्रिएटिव निदेशक सागर महाबलेश्वरकर ने बताया, ‘इस साल कंपनियां खर्च को लेकर काफी सतर्क रहेंगी। हम प्रतिनिधिमंडल में लोगों की संख्या तो नहीं घटाएंगे लेकिन उन पर होने वाले खर्च में कटौती जरूर करेंगे।’

साल 2008 में यूनियन बैंक, अमृतांजन और सिम्पली मैरी के लिए विज्ञापन बनाने वाली कंपनी डीडीबी मुद्रा के मुख्य क्रि एटिव निदेशक बॉबी पवार ने बताया, ‘हम अपने आवेदन एबी एड अवॉर्ड, इफीज और कान्स जैसे मुख्य आयोजनों तक ही सीमित रखेंगे।’

पिछले साल तक कंपनी सभी अंतरराष्ट्रीय आयोजनों में शिरकत किया करती थी। आमतौर पर कंपनियां कान में आउटडोर, फिल्म, डिजिटल, प्रिंट श्रेणी के लिए आवेदन करती हैं।

First Published - January 4, 2009 | 11:31 PM IST

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