भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) शासित केंद्र सरकार 5 साल पहले पेश की गई रिवर्स नीलामी की व्यवस्था अब खत्म करने जा रही है। सरकार का कहना है कि उद्योग इसके लिए लंबे समय से मांग कर रहा है। 2017 में इस योजना को पेश किए जाने के बाद से देश में पवन ऊर्जा क्षेत्र में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है, जिसमें पिछले एक दशक से दो अंकों की वृद्धि हो रही थी।
नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय में सचिव इंदु शेखर चतुर्वेदी ने सीआईआई के एक सम्मेलन में कहा कि मंत्रालय पवन ऊर्जा की बोली के ढांचे में बदलाव पर विचार कर रहा है, जिससे इस क्षेत्र को अपनी क्षमता बढ़ाने में मदद मिले और लंबे समय से चल रही इस क्षेत्र की मांग पूरी की जा सके।
चतुर्वेदी ने कहा, ‘ई-रिवर्स नीलामी की व्यवस्था सैद्धांतिक रूप से खत्म करने का फैसला किया गया है और इसके बारे में आगे फैसला जल्द लिया जाएगा। अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में ई-रिवर्स नीलामी की व्यवस्था का व्यापक रूप से इस्तेमाल कम शुल्क की खोज के लिए होता रहा है, इसकी वजह से ऐतिहासिक रूप से बोली नीचे गई। परियोजनाओं को लागू करने व आवंटन में इसका कई मामलों में बुरा असर पड़ा है। डेवलपरों को परियोजना मिलने का अभिशाप सहना पड़ा क्योंकि उपकरणों के आयात मूल्य में वृद्धि हो गई। कुछ मामलों में बोली का मूल्य बढ़ाया गया।