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त्योहारी मांग बढ़ने से फिर चढ़ने लगे गेहूं के दाम, टूटे 8 महीने के रिकॉर्ड

आपूर्ति सीमित बनी रही तो गेहूं के दाम 100 रुपये क्विंटल और बढ़ सकते हैं। सरकार गेहूं की कीमतों को काबू में रखना चाहती है तो उसे आटा मिलों को अधिक मात्रा में गेहूं देना चाहिए।

Last Updated- October 17, 2023 | 10:22 PM IST
Rabi sowing 2023: Area of ​​wheat and gram decreased, area of ​​mustard increased

त्योहारी मांग से गेहूं भी पर महंगाई का असर दिखने लगा है। मंडियों में सप्ताह भर से गेहूं के दाम में तेजी बनी हुई है और इसके भाव 8 महीने के उच्च स्तर पर पहुंच गए हैं। त्योहारों पर मांग बढ़ने के साथ ही गेहूं की सीमित आपूर्ति के कारण भी कीमतों में तेजी आई है। कारोबारियों का कहना है कि गेहूं आगे और महंगा हो सकता है।

कैसा रहा मंडियों में गेहूं का भाव

दिल्ली के गेहूं कारोबारी महेंद्र जैन ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि सप्ताह भर में गेहूं की थोक कीमतों में 150 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आ चुकी है। दिल्ली की मंडी में गेहूं 2,750 रुपये क्विंटल बिक रहा है। उत्तर प्रदेश की हरदोई मंडी के गेहूं कारोबारी संजीव अग्रवाल ने बताया कि सरकार भले ही गेहूं के दाम नियंत्रित करने के लिए खुले बाजार में इसकी बिक्री कर रही है। लेकिन मांग की पूर्ति के लिए ये बिक्री पर्याप्त नहीं है।

उदाहरण के लिए हरदोई की 25 आटा मिलों को पूरी क्षमता से चलाने के लिए रोजाना 2,500 टन गेहूं की जरूरत है। लेकिन खुले बाजार में बिक्री से सप्ताह में 1,100 टन ही गेहूं मिल रहा है। मंडी में रोजाना आवक 3,000 बोरी की है जबकि सामान्य तौर पर कम से कम 5,000 बोरी गेहूं की आवक होनी चाहिए।

और बढ़ेगी गेहूं की मांग

अग्रवाल कहते हैं कि अभी त्योहार शुरू ही हुए हैं। आगे शादियों का भी सीजन शुरू होने वाला है। ऐसे में गेहूं की मांग और बढ़ सकती है। उन्होंने कहा कि आपूर्ति सीमित बनी रही तो गेहूं के दाम 100 रुपये क्विंटल और बढ़ सकते हैं। अगर सरकार गेहूं की कीमतों को काबू में रखना चाहती है तो उसे आटा मिलों को अधिक मात्रा में गेहूं देना चाहिए। रोलर फ्लोर मिलर्स फेडरेशन के अध्यक्ष प्रमोद कुमार एस ने बताया कि सरकार को गेहूं की कीमतें कम करने के लिए शुल्क मुक्त आयात की अनुमति देने की जरूरत है। हालांकि खाद्य मंत्रालय के वरिष्ठतम सिविल सेवा अधिकारी संजीव चोपड़ा ने पिछले महीने कहा था कि गेहूं पर 40 फीसदी आयात शुल्क को खत्म करने की तत्काल कोई योजना नहीं है।

5 राज्यों में होने हैं चुनाव, क्या उपाय अपनाएगी सरकार?

गेहूं की बढ़ती कीमतों का असर महंगाई पर भी दिखता है। एक महीने के भीतर 5 अहम राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और अगले साल लोकसभा चुनाव होने जा रहे हैं और इसी बीच गेहूं महंगा हो रहा है। ऐसे में लोग कयास लगा रहे हैं कि सरकार गेहूं की आपूर्ति बढ़ाने और कीमतों को नियंत्रित करने के लिए अपने स्टॉक से ज्यादा गेहूं जारी कर सकती है और आयात शुल्क हटा सकती है।

जानकारी के मुताबिक इस साल सरकार 341 लाख टन के लक्ष्य के मुकाबले किसानों से 262 लाख टन ही गेहूं खरीद पाई है।

कारोबारियों का कहना है कि सरकार भले ही 2023 में गेहूं का उत्पादन बढ़कर 11.27 करोड़ टन होने का दावा करे। लेकिन वास्तविकता यह है कि उत्पादन 10 करोड़ टन से कम रह सकता है। देश में 1 अक्टूबर तक सरकारी गोदामों में गेहूं का स्टॉक 240 लाख टन था, जो 5 साल के औसत 376 लाख टन की तुलना में काफी कम है।

First Published - October 17, 2023 | 10:21 PM IST

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