पश्चिम बंगाल में जूट मिल मालिकों की हालत खस्ता है। बांग्लादेश से डयूटी फ्री जूट के आयात के चलते ये मिल मालिक इस स्थिति में नहीं हैं कि मजदूरों की बकाया रकम का भुगतान कर सकें और उनकी मांगों को निपटारा कर सकें।
ऐसे में आने वाले समय में मजदूरों में असंतोष की आशंका जताई जा रही है और यह गंभीर रूप अख्तियार कर सकता है। इन परिस्थितियों में जूट मिल्स असोसिएशन ने मिल बंद करने की चेतावनी दी है।
इंडियन जूट मिल्स असोसिएशन के चेयरमैन संजय कजारिया ने कहा कि पश्चिम बंगाल के ज्यादातर मिल मालिक नुकसान उठा रहे हैं और ऐसे में मजदूरों की बकाया रकम का भुगतान शायद नहीं कर पाएं।
उन्होंने मिलों को बंद करने की चेतावनी दी। मामले का निपटारा करने के मकसद से मिल मालिक और मजदूर यूनियन की बैठक हुई, लेकिन यह बिना किसी नतीजे के समाप्त हो गई। बताया जा रहा है कि विभिन्न मजदूर यूनियन एकराय नहीं बना पाए।
कजारिया ने बताया कि अगर बांग्लादेश से इसी तरह जूट का आयात होता रहा तो फिर इस साल मिल मालिकों को करीब एक हजार करोड़ रुपये का नुकसान होगा। ऐसे में मजदूरों की मांग पूरा करने में वे सक्षम नहीं होंगे।
बैठक में बंगाल चटकल मजदूर यूनियन (बीसीएमयू) ने मिल मालिकों से महंगाई भत्ता के भुगतान की मांग की। उन्होंने कहा कि यह पिछले महीने से लंबित है, लेकिन दूसरे यूनियन इस प्रस्ताव से सहमत नहीं थे।
बीसीएमयू के गोविंद गुहा ने कहा कि बकाया भुगतान की बाबत बैठक में कोई सहमति नहीं हुई। उन्होंने कहा – हमने अन्य मांगों के साथ-साथ सालाना छुट्टी की संख्या 10 से 11 करने की मांग की है। अब अगली बैठक अप्रैल में होगी।
पिछले साल हुए समझौते के मुताबिक, मिल मालिक उसी हिसाब से महंगाई भत्ते के भुगतान करेंगे, जिस हिसाब से लिविंग इंडेक्स में बदलाव आ रहा हो।
गुहा के मुताबिक, इस हिसाब से महंगाई भत्ते का आकलन तो कर लिया गया, लेकिन अब तक इसका भुगतान नहीं किया गया है।
उन्होंने कहा कि हम महंगाई भत्ते की दर में फिर से बदलाव की मांग नहीं कर रहे हैं, लेकिन जिस पर सहमति बनी है, उसका भुगतान तो किया ही जाना चाहिए क्योंकि इससे करीब 12 हजार मजदूर प्रभावित हो रहे हैं।