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बहिष्कार अभियान के बावजूद बिक रहा तुर्किये का सेब

तुर्किये से सबसे ज्यादा सेब मुंबई के जेएनपीटी बंदरगाह पर ही आता है और यहीं से देश के दूसरे हिस्सों में जाता है।

Last Updated- June 01, 2025 | 11:26 PM IST
Turkey Apple
प्रतीकात्मक तस्वीर

ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत में तुर्किये के सेबों का बहिष्कार शुरू हो गया। व्यापारी और ग्राहक दोनों तुर्किये के सेब से मुंह मोड़ रहे हैं। लेकिन व्यापारी न चाहकर भी तुर्किये का माल बेच रहे हैं क्योंकि वे पहले से जमा स्टॉक को खत्म करना चाह रहे हैं। फिलहाल सेब का सीजन न होने के कारण इस समय तुर्किये से माल नहीं आ रहा है और व्यापारी आने वाले सीजन में तुर्किये से आयात नहीं करने को कह रहे हैं।

तुर्किये के सेब की सबसे अधिक मार हिमाचल के सेब किसान झेल रहे हैं क्योंकि हिमाचल में आयातित सेब की गुणवत्ता का सेब ज्यादा पैदा होता है। ऐसे में अगर तुर्किये के सेब का बहिष्कार या इस पर पाबंदी लगती है तो हिमाचल के सेब किसानों को सबसे अधिक लाभ होगा।

तुर्किये से सबसे ज्यादा सेब मुंबई के जेएनपीटी बंदरगाह पर ही आता है और यहीं से देश के दूसरे हिस्सों में जाता है। नवी मुंबई के वाशी स्थिति एपीएमसी के फल मार्केट के अध्यक्ष संजय पंसारे कहते हैं कि तुर्किये का अधिकांश सेब अक्टूबर-नवंबर में आता है जिसकी बुकिंग अगस्त सितंबर में की जाती है। इस समय जो बिक रहा है वह पुराना स्टॉक है जिसे व्यापारी निकालने में लगे हैं।

बहिष्कार के सवाल पर पंसारे कहते हैं कि जो माल स्टॉक में पड़ा है उसको निकालना ही पड़ेगा, कुछ लोग दिखाने के लिए कुछ भी बोले। ग्राहक को यह नहीं पता है कि यह माल कहां का है? पुणे की एपीएमसी मार्केट में सेब के व्यापारी सुयोग ज़ेंडे का कहना है कि हमने तुर्किये का सेब खरीदना बंद करने का फ़ैसला किया है क्योंकि वह पाकिस्तान का समर्थन करता है। ग्राहक सेब खरीदते वक्त पूछते हैं कि यह तुर्किये का तो नहीं है, उन्हें तुर्किये के सेब नहीं चाहिए। 

सुयोग कहते हैं कि तुर्किये के सेब यहां करीब तीन महीने तक बिकते हैं और यह कारोबार करीब 1,200 से 1,500 करोड़ रुपये का है। घरेलू सेब की बिक्री करने वाले विशाल चौरसिया कहते हैं कि विदेशों से आने वाले सेब हिमाचल और कश्मीर के सेब के लिए हमेशा चुनौती बने रहते हैं। भारत सरकार को तुर्किये से आने वाले सेब पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए और अन्य देशों से आने वाले सेब पर 50 फीसदी की जगह 100 फीसदी शुल्क वसूलना चाहिए। वह कहते हैं कि पिछले पांच सालों में तुर्किये के सेब का औसत लैंडिंग प्राइस 64 रुपये किलो रहा है।

साल 2020 और 2021 में तुर्किये से आयात सेब का लैंडिंग प्राइस 64 रुपये किलो था। वर्ष 2022 और 2023 में ये 63 रुपये किलो था, जबकि साल 2024 में लैडिंग प्राइस 66 रुपये प्रति किलो रही। यानी तुर्किये का सेब 64 से 66 रुपये के औसत मूल्य पर भारत में लैंड होता है। बाजार तक पहुंचने में और शुल्क के साथ इसकी कीमत करीब 100 रुपये किलो हो जाती है।

तुर्किये के सेब की किसानों पर मार

तुर्किये के सेब की किसानों पर मार पड़ रही है। हिमाचल ऐपल ग्रोवर सोसायटी के महासचिव राजेश धान्टा ने बताया कि तुर्किये में सेब निर्यात पर काफी सब्सिडी दी जाती है। इसलिए वहां से सेब भारत में निर्यात करने पर सस्ता पड़ता है। जिससे घरेलू सेब किसानों को नुकसान हो रहा है।

भारत द्वारा अमेरिका के सेब पर आयात शुल्क बढ़ाने के बाद भारत में तुर्किये के सेब का आयात तेजी से बढ़ा है। बीते 10 साल में तुर्किये के सेब का आयात हजारों गुणा बढ़ गया है। तुर्किये से 2015-16 में महज 205 टन सेब आयात हुआ था। 2024-25 में यह बढ़कर 1.24 लाख टन हो गया है। बीते 5 साल में भी तुर्किये के सेब का आयात करीब 3 गुना बढ़ा है। 2020-21 में 43,654 टन सेब का आयात हुआ था।

First Published - June 1, 2025 | 11:26 PM IST

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