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बिजली कटौती को लेकर भिड़ीं टाटा पावर व सरकारी कंपनी महाट्रांसको

Last Updated- December 11, 2022 | 8:58 PM IST

निजी क्षेत्र की कंपनी टाटा पावर और सरकारी बिजली वितरक महाराष्ट्र राज्य बिजली वितरण कंपनी (महाट्रांसको) ने रविवार को महाराष्ट्र में बिजली कटौती को लेकर एक दूसरे पर आरोप लगाए हैं। इसकी वजह से शहर में रेल व अन्य महत्त्वपूर्ण सेवाएं ठप पड़ गई थीं।
टाटा पावर ने आरोप लगाया है कि महाट्रांसको की पारेषण लाइनों में बहुत ज्यादा वोल्टेज फ्लक्चुएशन रहा, जिसकी वजह से ऐसी घटना हुई, जबकि सरकारी अधिकारियों ने कहा कि टाटा पावर का संयंत्र अपनी आधी उत्पादन क्षमता पर परिचालन कर रही थी और राज्य लोड डिस्पैच सेंटर के निर्देशों के बावजूद रविवार को बिजली उत्पादन बढ़ाने में असफल रही, जो राज्य में बिजली व्यवस्था का एकीकरण सुनिश्चित करने का शीर्ष निकाय है।
महाराष्ट्र के बिजली मंत्री नितिन राउत ने अधिकारियों से कहा है कि वे बिजली कटौती की वजहों की जांच करें, जिसमें एलएलडीसी के दिशानिर्देशों का अनुपालन न करना और कम अवधि के लिए लागत बचाने की कार्रवाई शामिल है।
रविवार की कटौती का ब्योरा देते हुए महाट्रांसको के अधिकारियों ने कहा कि टाटा पावर सहित सभी साझेदारों को सूचित किया गया था कि फरवरी के पहले सप्ताह में मुंबई मेट्रो के कामकाज के कारण दो पारेषण लाइनें योजना के तहत बंद की जाएंगी।
एक अधिकारी ने कहा, ‘मुंबई को बिजली की आपूर्ति सीमित रहने के बावजूद उत्पादन कंपनियों को अधिकतम क्षमता के साथ बिजली उत्पादन करना था। लेकिन टाटा पावर ने आश्चर्यजनक रूप से परिचालन अपनी क्षमता की तुलना में आधे से भी कम रखा।’
उत्पादन की जगह टाटा पावर बाजार से सस्ती बिजली खरीद रही थी, जिससे प्रतिस्पर्धा बनाए रखा जा सके, जिससे पारेषण व्यवस्था पर अतिरिक्त बोझ पड़ा और ट्रॉम्बे संयंत्र ‘आइलैंडिंग मोड’ में प्रवेश करने में असफल रहा। ट्रॉम्बे में कोयले से बिजली उत्पादन की औसत लागत 6 रुपये प्रति यूनिट है, जो हाजिर बाजार से खरीदी गई बिजली की कीमत का करीब दोगुना है।

First Published - March 1, 2022 | 11:03 PM IST

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