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जूट पैकेजिंग से छूट चाहती हैं चीनी मिलें, सरकार से की अपील

कपड़ा सचिव को लिखे पत्र में NFCSF ने कहा है कि जूट की बोरी अनाज रखने के लिए बेहतर होती हैं, वहीं यह चीनी के लिए सही नहीं हैं

Last Updated- August 20, 2023 | 10:46 PM IST
इस्मा ने वर्ष 2023-24 में सकल चीनी उत्पादन अनुमान बढ़ाकर 340 लाख टन किया , Sugar Production: ISMA increased the gross sugar production estimate to 340 lakh tonnes in the year 2023-24

चीनी मिलों ने अक्टूबर से शुरू हो रहे चीनी सत्र 2023-24 में जूट की बोरी में चीनी की पैकेजिंग के नियम से पूरी तरह छूट की मांग की है। इस समय मिलों को 20 प्रतिशत पैकेजिंग जूट की बोरी में करना अनिवार्य है। जूट की बोरी के इस्तेमाल पर लागत ज्यादा आने और उसके रखरखाव संबंधी समस्याओं का हवाला देते हुए मिलों ने छूट की मांग की है।

कपड़ा सचिव को लिखे पत्र में नैशनल फेडरेशन आफ कोऑपरेटिव शुगर फैक्टरीज (एनएफसीएसएफ) ने कहा है कि जूट की बोरी अनाज रखने के लिए बेहतर होती हैं, वहीं यह चीनी के लिए सही नहीं हैं। ऐसा इसलिए है, क्योंकि जूट की बोरी हवादार होती है और इससे अनाज की रक्षा होती है, जबकि हवा लगने से चीनी खराब होती है। इसके अलावा चीनी बहुत ज्यादा हाइड्रोस्कोपिक होती है और चीनी के सालाना उत्पादन का एक बड़ा हिस्सा एक साल से ज्यादा तक रखा रहता है।

संगठन ने कहा है कि कई बार यह बारिश के दो मौसम तक पड़ी रहती है और उत्पादन से लेकर भंडारण तक नमी लगना चीनी के लिए अच्छा नहीं है। पत्र में यह भी कहा गया है कि अनाज को पकाने के पहले सा करने का विकल्प होता है, जबकि चीनी को उसके उसी स्वरूप में इस्तेमाल करना होता है। जूट की बोरी में पैक की गई चीनी सीधे खाने में नुकसानदेह होती है क्योंकि जूट के फाइबर चीनी से अलग नहीं हो पाते, जिसका इस्तेमाल बोरी बनाने में होता है।

पत्र में कहा गया है कि जूट की बोरी में छेद होते हैं, जिससे नमी आ जाती है और इसकी वजह से माइक्रोबायोलॉजिकल वृद्धि होती है, जो चीनी में नमी की मात्रा पर निर्भर होता है।

मिलर्स ने कहा है कि जूट की बोरी में भरी गई चीनी का रंग कभी कभी खराब हो जाता है, जब उसे ज्यादा वक्त तक रखा जाता है। ऐसी स्थिति में बेवरिज, बिस्किट और कन्फेक्शनरी बनाने वाले थोक खरीदार बदरंग चीनी खरीदने से मना कर देते हैं।

First Published - August 20, 2023 | 10:46 PM IST

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