साल 2025 में चांदी की कीमतें अंतरराष्ट्रीय बाज़ारों में 59.3 फीसदी बढ़कर करीब 44.55 डॉलर प्रति औंस पर पहुंच गईं जबकि बुधवार को भारत में कीमतें 1,37,040 रुपये प्रति किलोग्राम रहीं। 2016 के बाद से यह इस धातु का यह सबसे अच्छा रिटर्न है। 2025 में चांदी ने सोने से बेहतर प्रदर्शन किया है। सोने की कीमतें बुधवार को करीब 49 फीसदी बढ़कर 1,12,895 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गईं।
आंकड़ों के अनुसार चांदी ने 2020 में भी ऐसा ही प्रदर्शन किया था। तब कीमतें एक साल पहले की तुलना में 44 फीसदी बढ़कर 67,383 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई थीं। उस साल सोने की कीमतें 27.9 फीसदी बढ़कर 50,001 रुपये प्रति 10 ग्राम पर जा पहुंची थीं।
विश्लेषकों का कहना है कि चांदी को निवेश विकल्प के रूप में फिर से पारिभाषित किया गया है। 2010 से 2020 तक कमजोर बाजार मांग और उत्पादन अधिशेष के कारण कीमतों में गिरावट आई। 2021 के बाद इस धातु की बढ़ती औद्योगिक मांग के कारण परिदृश्य बदल गया।
नोमूरा के एक नोट के अनुसार 2024 तक औद्योगिक मांग 68.05 करोड़ औंस के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गई। इस रुझान के कारण कुल मांग 116.04 करोड़ औंस हो गई जबकि कुल आपूर्ति केवल 101.51 करोड़ औंस रही। विश्लेषकों ने कहा कि संरचनात्मक बदलाव तीन क्षेत्रों नवीकरणीय ऊर्जा, इलेक्ट्रिक वाहन और इलेक्ट्रॉनिक्स के कारण हुआ क्योंकि चीन ने उच्च चांदी के अंश वाले एन प्रकार के सौर सेल को आक्रामक तरीके से अपनाया।
नोमूरा के अनुसार चांदी की निरंतर मांग के कारण जमा भंडार में तेजी से गिरावट आई है और इसकी आपूर्ति दिसंबर 2020 में 22 महीने थी जो दिसंबर 2023 तक केवल 13 महीने रह गई है।
सोने-चांदी का मौजूदा अनुपात 85 है जो चांदी के आकर्षण का एक और कारण है। यह अनुपात बताता है कि एक औंस सोना खरीदने के लिए कितनी औंस चांदी की जरूरत है। ज्यादा अनुपात का मतलब है कि सोना ज्यादा महंगा है जबकि कम अनुपात का मतलब है कि चांदी की कीमत कम है और वह बेहतर निवेश विकल्प हो सकती है।
नोमूरा ने अनुमान लगाया है कि 2025 में चांदी की मांग 114.83 करोड़ औंस होगी जबकि आपूर्ति 103.06 करोड़ औंस रहेगी। नोमूरा के मुख्य निवेश अधिकारी और प्रबंधित निवेश के प्रमुख गैरेथ निकोलसन ने हाल में एक नोट में कहा, अगर उपभोग का यही पैटर्न जारी रहा तो उद्योग के अनुमानों के अनुसार 2050 तक चांदी के ज्ञात भंडार खत्म हो जाएंगे। उन्होंने कहा, निकट भविष्य में सोने की कीमतों में सीमित वृद्धि की संभावना के कारण हम चांदी को आकर्षक मान रहे हैं, विशेष रूप से एक औद्योगिक धातु और आर्थिक अनिश्चितता के खिलाफ बहुमूल्य धातु के रूप में सुरक्षा की दोहरी भूमिका को देखते हुए।
हालांकि चांदी की कीमतें 50 डॉलर प्रति औंस के महत्वपूर्ण प्रतिरोध स्तर से ऊपर जा सकती हैं। लेकिन तकनीकी संकेतक निकट भविष्य में गिरावट का संकेत दे रहे हैं। नोमूरा ने कहा कि ये गिरावट उन निवेशकों के लिए आकर्षक खरीद स्तर हो सकते हैं जो चांदी के मजबूत फंडामेंटल आउटलुक और इसके अभूतपूर्व 45-वर्षीय कप ऐंड हैंडल स्वरूप का लाभ उठाना चाहते हैं।
जूलियस बेयर में कमोडिटीज पर नजर रखने वाले विश्लेषक एम पोन्सिनी का अनुमान है कि कीमतें 52-58 डॉलर के स्तर तक पहुंच जाएंगी।
सैमको सिक्योरिटीज में शोध विश्लेषक जे. प्रजापति ने कहा, चांदी के लिए चार्ट पर अगला स्पष्ट लक्ष्य 1,50,000 रुपये प्रति किलोग्राम है, जो मौजूदा स्तर से 12 फीसदी ज्यादा है। चांदी की तेजी सिर्फ सुरक्षित निवेश की मांग के कारण नहीं है, बल्कि इसे औद्योगिक शक्ति के रूप में फिर से पारिभाषित किया जा रहा है।