facebookmetapixel
सिर्फ एक महीने में 10% उछले रिलायंस के शेयर! ब्रोकरेज ने कहा- खरीद लो, अब ₹1,785 तक जाएगा भाव!टाटा मोटर्स CV के शेयर 28% प्रीमियम पर लिस्ट, डिमर्जर के बाद नया सफर शुरूक्या आपका डिजिटल गोल्ड अब खतरे में है? एक्सपर्ट ने दी राय – होल्ड करें या कैश आउट करें?Groww IPO: ₹114 पर लिस्टिंग के बाद 5% चढ़ा शेयर, बेच कर निकल लें या लॉन्ग टर्म के लिए करें होल्ड?Gold and Silver Price Today: सोना-चांदी आज भी हुए महंगे! गोल्ड 1,24,400 रुपये के करीब; सिल्वर 1,55,600 रुपये के स्तर परTata Group में नई पीढ़ी की एंट्री! नोएल टाटा के बेटे नेविल टाटा बने ट्रस्टी, जानिए क्या है रतन टाटा से कनेक्शनभारत-भूटान ने किए 7 समझौते, 4000 करोड़ रुपये के ऊर्जा ऋण का ऐलान₹12 तक डिविडेंड पाने का आज आखिरी मौका! कल ये 6 कंपनियां करेंगी एक्स डेट पर ट्रेडलाल किले के पास विस्फोट की जांच अब NIA करेगी, पुलवामा से जुड़े मॉड्यूल पर सतर्कताअचल संपत्ति बेचना ‘सेवा’ नहीं, यह सर्विस टैक्स के दायरे से बाहर: सुप्रीम कोर्ट 

सीजन की मार पड़ सकती है खाद्य तेल के भाव पर

Last Updated- December 05, 2022 | 10:42 PM IST

जबरदस्त सीजनल मांग के चलते इस हफ्ते खाद्य तेलों की कीमतों में तेजी आने की पूरी संभावना है।


रबी की फसल के अंतिम दौर में होने और मांग में अधिक तेजी होने की वजह से सभी प्रकार के खाद्य तेलों के भाव में औसतन 2 रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से तेजी आने की उम्मीद जताई जा रही है।


यदि यह ऐसा होता है तो महंगाई को रोकने की सरकारी कोशिशों को पलीता लग सकता है। वास्तव में सीजनल मांग अप्रैल में शुरू हो जाती है, जब रबी की फसल अंतिम दौर में होती है और सितंबर तक मांग में तेजी बनी रहती है। इससे खरीफ की फसल में जो तिलहन फसलें उगाई जाती हैं, उनको लेकर किसानों को अंदाजा हो जाता है।


भारत में सरसों के तेल के सबसे बड़े उत्पादक के. एस. ऑयल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और प्रबंध निदेशक संजय अग्रवाल कहते हैं कि मांग में तेजी तो है और सरकार जमाखोरी को लेकर जो कडा रुख अख्तियार कर रही है, उससे इसका कारोबार प्रभावित हुआ है। एक अनुमान के मुताबिक इस साल यानी 2007-08 मे रबी की फसल में सरसों के तेल के उत्पादन में 50 लाख टन की कमी आई है जबकि पिछले साल 6.2 करोड सरसों के तेल का उत्पादन हुआ था।


इसके अलावा बिनौले और सोयाबीन को भी मिला लें तो इनकी बुआई वाली जमीन में भी कमी आई है। पिछले साल 52.76 लाख हेक्टेयर जमीन पर तिलहनों की खेती की गई थी जबकि इस साल केवल 38 लाख हेक्टेयर जमीन पर इसकी खेती हुई है।


केंद्रीय तेल उद्योग एवं व्यापार संगठन ने अनुमान लगाया है कि जुलाई 2007-जून 08 तक 910,000 टन अरंडी के तेल के उत्पादन होने की संभावना है जबकि पिछले साल 850,000 टन अरंडी केतेल का उत्पादन हुआ था। 2006-07 में भारत में 780,000 टन अरंडी के तेल का उत्पादन हुआ था।


सरकार ने महंगाई दर के 7 फीसदी बढ़ने के बाद से तेल की जमाखोरी से निपटने के लिए अभियान छेड़ रखा है। सॉलवेंट एक्सट्रेक्टर्स असोसिएशन के निदेशक मेहता कहते हैं कि इससे तेल के कारोबारी हतोत्साहित हुए हैं। गोदरेज इंटरनैशनल के निदेशक दोराब मिस्त्री कहते हैं कि आपूर्ति दवाबों और मांग में बढोतरी होने की वजह से तेल की कीमतों का बढ़ना तय है।

First Published - April 21, 2008 | 12:33 AM IST

संबंधित पोस्ट