अमेरिका के साथ व्यापार समझौते में देरी, ईरान से तेल खरीदने की वजह से कुछ भारतीय कंपनियों पर पाबंदी और अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दर में कटौती की उम्मीद कम होने जैसी कई वजहों से रुपये पर दबाव दिखा। डॉलर के मुकाबले रुपया कारोबार के दौरान आज 89.5 के स्तर को पार गया।
भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा गिरावट थामने में नाकाम रहने से रुपया और कमजोर हुआ। रुपये में गिरावट के बाद बॉन्ड की कीमतों में भी गिरावट आई और बेंचमार्क 10 वर्षीय सरकारी बॉन्ड की यील्ड 4 आधार अंक बढ़कर 6.57 फीसदी रही, जो गुरुवार को 6.53 फीसदी रही थी।
दिन में कारोबार के दौरान रुपया 89.54 प्रति डॉलर तक लुढ़क गया था मगर बाद में यह 89.49 पर बंद हुआ जो गुरुवार के बंद स्तर से 0.9 फीसदी नीचे है। इस साल रुपये में यह दूसरी सबसे बड़ी गिरावट है।
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डीलरों ने कहा कि केंद्रीय बैंक ने रुपया के 88.80 के स्तर को पार करने के बाद किनारे रहने का फैसला किया, जिससे स्टॉप लॉस शुरू हो गया और रुपया दिन के सबसे निचले स्तर पर लुढ़क गया।
आईएफए ग्लोबल के संस्थापक और सीईओ अभिषेक गोयनका ने कहा, ‘88.80 प्रति डॉलर के स्तर को बाजार के ज्यादातर भागीदारों ने स्टॉप लॉस का मार्क माना होगा।’
एशियाई मुद्राओं में रुपये का प्रदर्शन सबसे खराब रहा। डॉलर इंडेक्स 0.5 फीसदी बढ़कर 100.17 पर पहुंच गया। इस साल रुपया अभी तक 4.33 फीसदी नरम हो चुका है।