सरकार ने ऐतिहासिक फैसले में चार श्रम संहिताओं को तत्काल प्रभाव से लागू करने की आज घोषणा की। संसद द्वारा मौजूदा 29 श्रम कानूनों में सुधार और उन्हें एकीकृत कर बनाई गई चार श्रम संहिताओं को पारित किए जाने के 5 साल बाद सरकार ने इसे अधिसूचित कर दिया।
इन चार श्रम संहिताओं में वेतन संहिता, औद्योगिक संबंध संहिता, सामाजिक सुरक्षा संहिता और व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य व कार्य स्थिति संहिता शामिल हैं। श्रम नियमों को श्रमिकों के कल्याण और श्रम पारिस्थितिकी तंत्र को काम की बदलती दुनिया के अनुरूप बनाया गया है।
नई श्रम संहिताओं के तहत नियोक्ताओं को सभी श्रमिकों को नियुक्ति पत्र जारी करना होगा तथा गिग और प्लेटफॉर्म कामगारों सहित पूरे श्रमबल को सामाजिक सुरक्षा कवरेज प्रदान करना होगा। इसके साथ ही न्यूनतम मजदूरी का भुगतान सुनिश्चित करने और 40 वर्ष से अधिक आयु के श्रमिकों के लिए मुफ्त वार्षिक स्वास्थ्य जांच प्रदान करने की भी आवश्यकता होगी।
नए नियम महिलाओं को रात की पाली में काम करने और देश भर में कर्मचारियों के राज्य बीमा लाभों का विस्तार करने की अनुमति देते हैं। तय अवधि के लिए ठेके पर काम करने वाले कामगारों को अब स्थायी श्रमिकों के बराबर सभी लाभ मिलेंगे और वे 5 साल के बजाय सिर्फ एक साल बाद ग्रेच्युटी पाने के हकदार होंगे। संहिताओं में पहली बार गिग कर्मी, प्लेटफॉर्म कामगार और एग्रीगेटर को परिभाषित किया गया है।
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एग्रीगेटर को इसके लिए गिग और प्लेटफॉर्म श्रमिकों को सालाना भुगतान का 5 फीसदी तक, वार्षिक कारोबार का 1 से 2 फीसदी योगदान करने का आदेश दिया गया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे स्वतंत्रता के बाद से सबसे व्यापक और प्रगतिशील श्रम-उन्मुख सुधारों में से एक बताया। मोदी ने कहा, ‘ये संहिताएं सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा, न्यूनतम और समय पर मजदूरी का भुगतान, सुरक्षित कार्यस्थल और हमारे लोगों, विशेष रूप से नारी शक्ति और युवा शक्ति के लिए लाभकारी अवसरों के लिए एक मजबूत नींव के रूप में काम करेंगी। यह एक भविष्य के लिए तैयार इकोसिस्टम का निर्माण करेगा जो श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा करता है और भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास को मजबूत करता है।’
श्रम मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा कि पश्चिम बंगाल को छोड़कर सभी राज्यों ने नियमों को पहले ही प्रकाशित कर दिया है। भारतीय मजदूर संघ ने लंबे समय से प्रतीक्षित चार श्रम संहिताओं को लागू करने के निर्णय की सराहना की।
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श्रम संगठनों इंटक, एटक और सीटू सहित सीटीयू ने श्रम संहिताओं के एकतरफा कार्यान्वयन की निंदा करते हुए 26 नवंबर से विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया।