अमेरिकी ट्रेजरी यील्ड में तेजी और चीन की मुद्रा युआन कमजोर होने की वजह से डॉलर के मुकाबले रुपया गिरकर बंदी के नए निचले स्तर 84.87 पर पहुंच गया। डीलरों ने यह भी कहा कि नवंबर में भारत के वस्तु निर्यात में व्यापार घाटे का भी रुपये पर विपरीत असर पड़ा। शुक्रवार को रुपया 84.80 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ था।
इस बीच डॉलर सूचकांक में मामूली गिरावट से दिन के दौरान रुपये को कुछ समर्थन मिला। डॉलर सूचकांक 0.14 प्रतिशत गिरकर 106.85 पर पहुंच गया। इस सूचकांक से 6 प्रमुख मुद्राओं की तुलना में डॉलर की स्थिति का पता चलता है।
विदेशी मुद्रा बाजार के हिस्सेदारों ने कहा कि सरकारी बैंकों ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की ओर से डॉलर की बिक्री की, जिससे अतिरिक्त उतार-चढ़ाव न हो।
जन स्मॉल फाइनैंस बैंक में ट्रेजरी और कैपिटल मार्केट्स के प्रमुख गोपाल त्रिपाठी ने कहा, ‘ट्रेड डेटा के कारण रुपया कमजोर हुआ, जिसमें व्यापार घाटा अब तक के शीर्ष स्तर पर पहुंच गया है। निकट के हिसाब से यह और कमजोर हो सकता है। कुछ समय से रुपया एक निश्चित सीमा के भीतर और स्थिर बना हुआ है, लेकिन अगर व्यापार घाटा बढ़ता है या पूंजी की आवक कमजोर होती है तो यह डॉलर के मुकाबले और कमजोर हो सकता है।’
डीलरों ने कहा कि इस सप्ताह बाजार के प्रदर्शन में अमेरिकी फेडरल रिजर्व के मौद्रिक नीति के फैसले के साथ बैंक ऑफ इंगलैंड और बैंक ऑफ जापान की भूमिका महत्त्वपूर्ण होने वाली है। हालांकि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में वृद्धि और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की गतिविधियों जैसे घरेलू संकेतक बाजार की धारणा को आकार देंगे।
बाजार उम्मीद कर रहा है कि फेडरल रिजर्व आगामी बैठक में नीतिगत दर में 25 आधार अंक कटौती करेगा। फिनरेक्स ट्रेजरी एडवाइजर्स एलएलपी के ट्रेजरी प्रमुख और कार्यकारी निदेशक अनिल कुमार भंसाली ने कहा, ‘बैंक ऑफ इंगलैंड और बैंक ऑफ जापान के साथ अमेरिकी फेडरल रिजर्व के मौद्रिक नीति के फैसले की इस सप्ताह बाजार के प्रदर्शन में उल्लेखनीय भूमिका होगी, वहीं घरेलू संकेतक जैसे जीडीपी वृद्धि और एफपीआई बाजार की धारणा को आकार देंगे।’