छोटे उधारकर्ताओं को राहत देते हुए, भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने सोने को रखकर लिए जाने वाले 5 लाख रुपये तक के ऋणों के लिए लोन वैल्यू (एलटीवी) अनुपात में वृद्धि की है, जिसमें 2.5 लाख रुपये से कम के ऋणों के लिए एलटीसवी 85 प्रतिशत निर्धारित किया गया है, और 2.5 लाख रुपये और 5 लाख रुपये के बीच के ऋणों के लिए 80 प्रतिशत निर्धारित किया गया है। हालांकि, 5 लाख रुपये से ऊपर के सभी ऋणों में 75 प्रतिशत की एलटीवी होगी। केंद्रीय बैंक ने सोने और चांदी के कॉलेटरल पर ऋण देने के लिए अपने दिशानिर्देशों में निर्दिष्ट किया है। आरबीआई के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने मौद्रिक नीति समीक्षा के बाद संवाददाता सम्मेलन में बताया कि नियामक जल्द ही स्वर्ण ऋण के लिए निर्णायक मानक जारी करेगा।
मल्होत्रा ने कहा, ‘हमने गोल्ड लोन पर अंतिम दिशानिर्देशों में छोटे ऋणों के लिए इसे 85 प्रतिशत तक बढ़ाने का फैसला किया है, जिसमें प्रति उधारकर्ता 2.5 लाख रुपये से कम के ऋण पर ब्याज भी शामिल है। छोटे ऋणों के मामले में गोल्ड लोन के लिए क्रेडिट मूल्यांकन की कोई जरूरत नहीं है और अंतिम उपयोग की निगरानी तभी जरूरी होगी जब आप प्रायोरिटी सेक्टर लेंडिंग में इससे फायदा लेना चाहते हैं।’
स्वर्ण ऋणों के लिए औसत आकार करीब 1.2 लाख रुपये है। ऊंचे एलटीवी के साथ औसत आकार बढ़ सकता है। मल्होत्रा ने कहा कि सरकार के स्वामित्व वाले बैंक गोल्ड लोन देते समय मौजूदा एलटीवी सीमा 75 प्रतिशत के तहत ब्याज और मूलधन दोनों को शामिल कर रहे हैं। लेकिन कुछ गैर-बैंक ऋणदाताओं और छोटे बैंकों के मामले में एलटीवी को 88 प्रतिशत तक भी किया गया है।
उद्योग के जानकारों का कहना है कि इस कदम से ऋण तक पहुंच में सुधार आएगा और उधार लेने वाले औपचारिक क्षेत्र से अनौपचारिक क्षेत्र में नहीं जाएंगे। गोल्ड फाइनेंसरों को मसौदा दिशानिर्देशों में सख्त शर्तों (सोने पर ऋण देने के लिए) के कारण इसका डर था।
मुथूट फिनकॉर्प के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक जॉन मुथूट ने कहा, ‘छोटे आकार के गोल्ड लोन को सख्त मूल्यांकन जरूरतों से छूट दी गई है। यह क्षेत्र लंबे समय से इसकी मांग कर रहा था। इससे आम आदमी की ऋण पहुंच बढ़ाने में मदद मिलेगी। हम अंतिम दिशानिर्देशों की व्यापक समीक्षा के लिए उत्सुक हैं।’
इससे पहले वित्तीय सेवा विभाग ने आरबीआई को सौंपी अपनी प्रतिक्रिया में 2 लाख रुपये तक के छोटे कर्जदारों को नियमों से छूट देने के लिए कहा था। एनबीएफसी कंपनियों ने यह भी कहा था कि मसौदे के नियम महिला उधारकर्ताओं, छोटे व्यापारियों और ग्रामीण लोगों को औपचारिक ऋण तक पहुंचने से दूर कर सकते हैं क्योंकि स्वामित्व का प्रमाण, शुद्धता प्रमाण पत्र और जमानत के रूप में सख्त परिभाषा उन्हें ऋण के अनौपचारिक विकल्पों की ओर धकेल कर सकती है।
श्रीराम फाइनैंस के कार्यकारी उपाध्यक्ष उमेश रेवणकर ने कहा, ‘हम स्वर्ण ऋण के लिए एलटीवी 75 फीसदी से बढ़ाकर 85 फीसदी करने के आरबीआई के फैसले का स्वागत करते हैं। इस प्रगतिशील कदम से ऋण पहुंच में सुधार आएगा और अनौपचारिक क्षेत्र से औपचारिक वित्तीय व्यवस्था में स्वर्ण ऋण की मांग को बढ़ावा मिलेगा। इससे बढ़ती पारदर्शिता, सुरक्षा और अनुकूल वित्तीय सेवाओं के साथ कर्ज लेने वालों को भी फायदा होगा।’
गोल्ड लोन को पैसा जुटाने का आखिरी उपाय माना जाता है। इसमें किसी तरह के आय के प्रूफ की जरूरत नहीं होती है। गोल्ड लोन के ग्राहकों की सामाजिक आर्थिक पृष्ठभूमि मध्य वर्ग, निम्न मध्य वर्ग, स्व-नियोजित, छोटे व्यवसाय से जुड़ी होती है। उनके पास आय का प्रमाण होना मुश्किल है।
तमिलनाड मर्केंटाइल बैंक के एमडी एवं सीईओ सैली एस नायर ने कहा, ‘उधारकर्ताओं के लिए ऊंची लोन वैल्यू सीधे तौर पर पूंजी की आवश्यकता कम कर देती है। इससे प्रति ग्राम सोने पर ज्यादा ऋण राशि तक पहुंच संभव होगी। यह विशेष रूप से ग्रामीण और अर्ध-शहरी परिवारों के लिए फायदेमंद है जहां सोना एक प्राथमिक और कम उपयोग वाली संपत्ति बना हुआ है। इससे उधारकर्ताओं को लंबी अवधि में अपनी होल्डिंग कृसे पैसा जुटाने या बेचे बिना अधिक कीमत जुटाने की सुविधा मिलती है।’