नवंबर में पहली बार इस साल डिजिटल गोल्ड की खरीद का मूल्य धीमा पड़ गया है। इसका कारण भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) की वह एडवाइजरी मानी जा रही है, जिसमें निवेशकों को डिजिटल गोल्ड को लेकर सावधानी बरतने की सलाह दी गई थी।
नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) के आंकड़ों के अनुसार, नवंबर में UPI के जरिए डिजिटल गोल्ड की खरीद का मूल्य 47 फीसदी गिरकर 1,215.36 करोड़ रुपये रह गया, जबकि अक्टूबर में यह 2,290.36 करोड़ रुपये था। हालांकि, लेनदेन की संख्या में बढ़ोतरी दर्ज की गई। नवंबर में डिजिटल सोने की खरीद की मात्रा 6.44 फीसदी बढ़कर 12.34 करोड़ हो गई, जो पिछले महीने 11.59 करोड़ थी।
UPI पर डिजिटल गोल्ड की खरीद 2025 में हर महीने बढ़ रही थी। इसका कारण है आसान पेमेंट फीचर्स जैसे UPI ऑटोपे और रोजाना छोटी राशि में निवेश करने की सुविधा। जनवरी में कुल 5.09 करोड़ डिजिटल गोल्ड ट्रांजैक्शन हुए थे, जिनकी कुल कीमत 761.6 करोड़ रुपये थी।
हालांकि, 8 नवंबर को जारी एक बयान में सेबी ने कहा कि डिजिटल गोल्ड प्रोडक्ट्स उसके नियमन के दायरे में नहीं आते। इसका मतलब यह है कि रेगुलेटर फिनटेक प्लेटफॉर्म्स के गोल्ड वॉल्ट्स की जांच नहीं कर सकता — यानी यह पता नहीं लगाया जा सकता कि निवेशकों के नाम पर रखा गया सोना वास्तव में मौजूद है या उसकी क्वालिटी सही है।
सेबी ने यह भी कहा कि डिजिटल या ई-गोल्ड को फिजिकल गोल्ड के निवेश विकल्प के रूप में बढ़ावा दिया जा रहा है, लेकिन इस पर किसी तरह की सीधी निगरानी नहीं है।
जार (Jar) और गुल्लक (Gullak) जैसी कई खास फिनटेक कंपनियों में तेजी आई है, जो लोगों को रोजाना या नियमित रूप से छोटी-छोटी रकम डिजिटल गोल्ड में निवेश करने की सुविधा देती हैं। इसी तरह पेटीएम, फोनपे और अन्य बड़े डिजिटल पेमेंट प्लेटफॉर्म भी अपने यूजर्स को डिजिटल गोल्ड में निवेश करने का विकल्प दे रहे हैं।