facebookmetapixel
100 गीगावॉट लक्ष्य के लिए भारत में परमाणु परियोजनाओं में बीमा और ईंधन सुधारों की जरूरत: एक्सपर्टCII ने बजट 2026-27 में निवेश और विकास बढ़ाने के लिए व्यापक सुधारों का रखा प्रस्तावRBI ने बैंकों को कहा: सभी शाखाओं में ग्राहकों को बुनियादी सेवाएं सुनिश्चित करें, इसमें सुधार जरूरीसाल 2025 बना इसरो के लिए ऐतिहासिक: गगनयान से भारत की मानव अंतरिक्ष उड़ान की उलटी गिनती शुरूदिल्ली देखेगी मेसी के कदमों का जादू, अर्जेंटीना के सुपरस्टार के स्वागत के लिए तैयार राजधानीदमघोंटू हवा में घिरी दिल्ली: AQI 400 के पार, स्कूल हाइब्रिड मोड पर और खेल गतिविधियां निलंबितUAE में जयशंकर की कूटनीतिक सक्रियता: यूरोप ब्रिटेन और मिस्र के विदेश मंत्री से की मुलाकात‘सच के बल पर हटाएंगे मोदी-संघ की सरकार’, रामलीला मैदान से राहुल ने सरकार पर साधा निशानासेमाग्लूटाइड का पेटेंट खत्म होते ही सस्ती होंगी मोटापा और मधुमेह की दवाएं, 80% तक कटौती संभवप्रीमियम हेलमेट से Studds को दोगुनी कमाई की उम्मीद, राजस्व में हिस्सेदारी 30% तक बढ़ाने की कोशिश

आपूर्ति बढऩे से घटने लगीं कीमतें

Last Updated- December 12, 2022 | 8:11 AM IST

पिछले साल जुलाई में लॉकडाउन खत्म होने के बाद से लगातार तेजी के बाद अधिक आपूर्ति के कारण लौह एवं इस्पात की कीमतें कम होने लगी हैं। जनवरी के मध्य से कीमतों में गिरावट की शुरुआत हो गई थी। द्वितीयक इस्पात उत्पादकों ने लॉन्ग उत्पादों की कीमतें 7,000 से 8,000 रुपये प्रति टन से घटा दी थी और उसके बाद फरवरी में प्राथमिक उत्पादकों ने कीमतों में 2,000-3,500 रुपये प्रति टन की कटौती की है।
जेएसडब्ल्यू स्टील के निदेशक (वाणिज्यिक एवं विपणन) जयंत आचार्य ने कहा कि कीमतों में नरमी का मुख्य कारण घरेलू बाजार में लॉन्ग उत्पादों की आपूर्ति में वृद्धि है। उन्होंने कहा, ‘पहली तिमाही में लॉन्ग उत्पाद की आपूर्ति 70 लाख टन से कम रही थी। जबकि तीसरी तिमाही में आपूर्ति बढ़कर 1.4 करोड़ टन हो गई। लॉन्ग उत्पाद के निर्यात में भी कमी आई है। तीसरी तिमाही में निर्यात 3,00,000 टन से घटकर 2,40,000 टन रह गया। कुल मिलाकर घरेलू बाजार में उपलब्धता बढ़ी है।’
आचार्य ने बताया कि द्वितीयक क्षेत्र में भी तेजी आई है। उन्होंने कहा, ‘द्वितीयक क्षेत्र के लिए महत्त्वपूर्ण समझी जाने वाली लौह अयस्क की आपूर्ति में भी वृद्धि हुई है जिससे उनका उत्पादन भी बेहतर हुआ है। भारत में बाइलेट का निर्यात पहली तिमाही में 23 लाख टन था जो घटकर तीसरी तिमाही में 11 लाख टन रह गया। इन सब कारकों से बाजार में लॉन्ग उत्पादों की आपूर्ति बढ़ गई।’ पिछले कई महीनों से इस्पात की कीमतें सुर्खियों में रही हैं। जनवरी में घरेलू हॉट रोल्ड कॉइल (एचआरसी) की कीमतें 58,000 रुपये प्रति टन की सर्वकालिक ऊंचाई पर पहुंच गई थीं। हालांकि जून 2020 के अंत में वह घटकर 36,250 रुपये प्रति टन रह गया। समझा जाता है कि भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग बाजार में कथित सांठगांठ की जांच कर रहा है।
इस्पात उत्पादकों का कहना है कि वैश्विक इस्पात की कीमतों में कहीं अधिक वृद्धि हुई है। वैश्विक कीमतों में नरमी आने के साथ ही घरेलू कीमतें भी अपने उच्च स्तर से नीचे आने लगी हैं। न केवल इस्पात बल्कि पूरी शृंखला में नरमी दिखने लगी है।
लौह अयस्क का उत्पादन करने वाली देश की सबसे बड़ी कंपनी एनएमडीसी ने कीमतों में कटौती की है जो 7 फरवरी से प्रभावी है। एनएमडीसी की संशोधित कीमतें 5,100 रुपये प्रति टन लंप अयस्क (65.5 फीसदी) और 4,210 रुपये प्रति टन लौह अयस्क फाइन (64 फीसदी) हो गई हैं।

First Published - February 17, 2021 | 9:26 PM IST

संबंधित पोस्ट