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‘वायदा कारोबार से कीमत बढ़ोतरी का वास्ता नहीं’

Last Updated- December 05, 2022 | 11:00 PM IST

गेहूं व चावल के वायदा कारोबार को शुरू करने की मांग को लेकर सोमवार को कुरुक्षेत्र में सैकड़ों किसानों ने पंचायत का आयोजन किया।


इस पंचायत का आयोजन अखिल भारतीय एशियन संयोजक समिति (केसीसी) की ओर किया गया। इस पंचायत में कमोडिटी ट्रांजेक् शन टैक्स (सीटीटी) पर भी विचार किया गया। पंचायत में पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश महाराष्ट्र व गुजरात के किसानों ने भाग लिया।


पंचायत को संबोधित करते हुए राज्यसभा सदस्य शरद जोशी ने कहा कि सरकार की कृषि नीति से किसानों की समस्या हल नहीं हो रही है। उन्होंने चावल के मामले में सरकारी नीति का उदाहरण देते हुए कहा कि बहुत कम लोगों को बासमती व गैर बासमती को लेकर सरकारी फैसले की जानकारी है। उन्होंने वायदा कारोबार का जिक्र करते हुए कहा कि इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि वायदा कारोबार के कारण कीमतों में बढ़ोतरी हो रही है।


उन्होंने यह भी कहा कि वायदा कारोबार कीमत में लगातार हो रहे उतार-चढ़ाव के लिए जिम्मेदार नहीं है। ऐसे में सरकार को वायदा कारोबार के लिए गेहूं व चावल पर लगे प्रतिबंध को तुरंत समाप्त कर देना चाहिए। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि बासमती व गैर बासमती को लेकर सरकार की निर्यात नीति को जारी रखा जाना चाहिए।


दूसरी ओर कृषि एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री शरद पवार ने पिछले सप्ताह संसद को आश्वासन दिया था कि यदि सेन समिति दस दिनों के भीतर रिपोर्ट नहीं सौंपती है तो सरकार वायदा कारोबार पर प्रतिबंध लगाने या नहीं लगाने के संबंध में दस दिनों के बाद निर्णय लेगी। सेन ने पिछले सप्ताह बताया था कि वह इस सप्ताह रिपोर्ट सरकार को सौंप देगी।


रिपोर्ट में कहा गया है कि तुअर, उड़द, चावल और गेहूं के वायदा कारोबार पर रोक लगाने के बावजूद इनकी कीमतों के उतारचढ़ाव में कोई परिवर्तन नहीं आया है। कमिटी ने कहा है कि महंगाई की दरों में बढ़ोतरी के लिए कमोडिटी बाजार को जिम्मेदार ठहराना ठीक नहीं है और यह अंतरराष्ट्रीय मामला है और इसके लिए विकसित देश मसलन अमेरिका को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।


कमिटी ने वायदा बाजार में सटोरिया खरीदारी की हिमायत करते हुए कहा है कि इससे बाजार में तरलता आती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि किसान और उपभोक्ता ही कृषि जिंस बाजार को संचालित करेंगे तो उनकी व्यापारिक रणनीतियों में तालमेल नहीं बैठ पाने की संभावना रहेंगी।


इसमें तर्क दिया गया है कि पूर्ण सहभागिता के साथ एक सक्षम और पारदर्शी बाजार ही अच्छी  अनुमनित सूचनाओं को प्रोत्साहित करेगा। सेन कमिटी ने यह भी सुझाया है कि पूंजी बाजार की तरह ही कमोडिटी बाजार के लिए भी एक कमिटी का गठन किया जाना चाहिए जो वायदा कारोबार और नियंत्रण से जुड़े मुद्दों का निपटारा कर सके।

First Published - April 21, 2008 | 11:26 PM IST

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