मानसून सीजन में हर साल आम आदमी को रुलाने वाली प्याज इस बार मंडियों में सड़ रही है। वहीं टमाटर का लाल रंग प्याज को चिढ़ा रहा है। प्याज की कम कीमतों ने किसानों को बेदम कर दिया है। थोक बाजार में प्याज 6-10 रुपये प्रति किलोग्राम बिक रही है। लागत भी नहीं निकल पाने से परेशान किसान सरकार से प्याज बिक्री के सिस्टम में बदलाव की गुहार लगा रहे हैं। किसानों की मांग है कि सरकार प्याज की खरीद किसान उत्पादक कंपनियों (FPC) के बजाय खुले बाजार से खरीदे।
प्याज की सबसे बड़ी थोक मंडी लासलगांव में प्याज का न्यूनतम दाम 600 रुपये और अधिकतम दाम 1330 रुपये प्रति क्विंटल बोला जा रहा है। जबकि किसानों की उत्पादन लागत करीब 2000 रुपये प्रति क्विंटल पड़ रही है। महाराष्ट्र प्याज उत्पादक संघ के अध्यक्ष भरत दिघोले ने मांग की है कि सरकार खुले बाजार से प्याज खरीदे और खुले बाजार से खरीद के लिए कई योजनाओं को शुरू करना चाहिए। इससे किसानों को मदद मिलेगी क्योंकि किसान उत्पादक कंपनियां जिस तरह से खेत से प्याज खरीदती हैं, वह मौजूदा प्रैक्टिकल नहीं है।
अभी राष्ट्रीय सहकारी कृषि विपणन संघ (NAFED) और राष्ट्रीय उपभोक्ता सहकारी संघ (NCCF) जैसी एजेंसियां केंद्र सरकार की ओर से खरीद करती हैं। FPC यूनियन, NAFED और NCCF दोनों के सब-एजेंट के तौर पर काम करता है। इस सीजन में, केंद्र सरकार की योजना, दोनों एजेंसियों के साथ मिलकर नासिक और महाराष्ट्र के बाकी प्याज उत्पादक जिलों में 3 लाख टन प्याज उत्पादन की है।
दिघोले ने आरोप लगाया कि FPC संघों का प्रबंधन अब राजनीतिक नेताओं के हाथों में है जो इन तरीकों का इस्तेमाल यह सुनिश्चित करने के लिए करते हैं कि उनके समर्थक सरकारी खरीद पर कब्जा कर सकें। ये संघ कीमतों में हेराफेरी करते हैं और अधिकारियों की मिलीभगत से, घटिया गुणवत्ता वाले प्याज को दिखाने की कोशिश करते हैं। यहां तक कि ये सिर्फ कागजों पर व्यापार करके पैसा हड़पने की कोशिश करते हैं।
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किसान प्याज की दुर्दशा की राजनीतिक हस्तक्षेप को मानते हैं। उनका कहना है कि सरकार प्याज बाजारों में हस्तक्षेप न करे। केंद्र सरकार प्याज की कीमतों पर कड़ी नजर रखती है और निर्यात प्रतिबंध या आयात जैसे तरीकों से कीमतों को नियंत्रित करने की कोशिश करती है। सरकार को बाजारों से पूरी तरह बाहर हो जाना चाहिए। बाजार को मांग-आपूर्ति तंत्र के जरिए अपनी कीमत तय करने में सक्षम होना चाहिए।
किसानों ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को चिट्ठी लिखकर अपील की है कि वो इस मसले पर एक मीटिंग बुलाएं। किसानों को इस साल अभी तक कोई राहत नहीं मिल सकी है। किसानों का कहना है कि अगर इसी तरह से प्याज की कीमतें गिरती रहीं और किसानों के लिए कुछ नहीं किया गया तो फिर इसकी खेती बंद करने के लिए उन्हें मजबूर होना पड़ेगा।
पिछले दिनों APMC में आयोजित एक मीटिंग में महाराष्ट्र राज्य प्याज उत्पादक किसान संघ ने सपोर्ट प्राइस और लंबे समय के लिए नीतिगत उपायों की मांग करते हुए कई प्रस्ताव पास किए। इसमें मुख्य मांग थी कि प्याज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी MSP को 3,000 रुपये प्रति क्विंटल तक सुनिश्चित किया जाए। अभी यह 1330 रुपये प्रति क्विंटल है।