देश की सबसे बड़ी ताप बिजली उत्पादक कंपनी एनटीपीसी ने 20 लाख टन कोयला आयात के लिए बोलियां आमंत्रित की हैं। कंपनी ने अपने संयंत्रों और डीवीसी के लिए 10-10 लाख टन कोयला आयात करने की बोलियां मंगाई हैं।
सार्वजनिक उपक्रम एनटीपीसी के इस कदम को देश में जारी कोयले की किल्लत से जोड़कर देखा जा रहा है। कोयला आधारित बिजली संयंत्रों के पास औसतन चार दिन का ही भंडार रह गया है। हालांकि सरकार का दावा है कि मांग कम होने और कोल इंडिया लिमिटेड की तरफ से कोयला आपूर्ति सुधरने की वजह से अब हालात नियंत्रण में आ गए हैं। लेकिन बिजली उत्पादन इकाइयां आने वाले त्योहारी मौसम में मांग बढऩे की संभावना को देखते हुए कोयला भंडार बढ़ाना चाहती हैं।
वैश्विक बाजार में कोयले की लागत वर्तमान दरों पर करीब 12,000 रुपये प्रति टन तक पहुंच गई है। उद्योग जगत का आकलन है कि कच्चे माल की लागत बढऩे से बिजली उत्पादन की लागत भी 50-75 पैसे प्रति यूनिट बढ़ गई है। इसका बोझ बिजली वितरण कंपनियों को उठाना पड़ रहा है।
एनटीपीसी ने अपनी निविदा में कहा है कि उसे अपने तलचर-कनिहा, मौदा, फरक्का-कहलगांव, सिम्हाद्रि, दादरी, सोलापुर, कुडगी, ऊंचाहार, टांडा, कोरबा, सिपत, लारा , दारलिपल्ली, बाढ़, बोंगाईगांव, बरौनी, गदरवारा, विंध्याचल, रिहंद, सिंगरौली, खारगोन एवं रामागुंडम संयंत्रों के लिए 10 लाख टन आयातित कोयला चाहिए। इसके साथ ही उसने डीवीसी के संयंत्रों के लिए भी 10 लाख टन कोयले की आयात की खुली बोलियां आमंत्रित की हैं। कंपनी सफल बोलीकर्ताओं की उलटी नीलामी कर आपूर्तिकर्ता का फैसला करेगी।
एनटीपीसी ने 2 साल के बाद कोयला आयात के लिए बोलियां आमंत्रित की हैं।