खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने गुरुवार को कहा कि खुला बाजार हस्तक्षेप योजना के तहत सरकारी भंडार से गेहूं बेचने की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि आपूर्ति पर्याप्त है और कीमतें स्थिर हैं। उनकी प्रतिक्रिया ऐेसे समय में आई है, जब अटकलें लगाई जा रही थीं कि अब खुले बाजार में बिक्री फिर से शुरू हो सकती है, क्योंकि पिछले एक महीने में खुदरा कीमतों में 5 प्रतिशत वृद्धि हुई है।
सरकार भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) द्वारा प्रबंधित केंद्रीय पूल से अधिशेष भंडार को पूर्व निर्धारित आरक्षित मूल्य पर सीधे बाजार में बेचकर गेहूं की आपूर्ति और कीमतों को विनियमित करने के लिए खुला बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) का संचालन करती है।
चोपड़ा ने भारतीय वनस्पति तेल उत्पादक संघ (आईवीपीए) की वैश्विक गोलमेज बैठक से इतर पत्रकारों से कहा, ‘पर्याप्त भंडार मौजूद है। हमने काफी अच्छी मात्रा में खरीद की है। इसलिए बाजार में पर्याप्त आपूर्ति है। कीमतें पहले से ही स्थिर हैं। इसलिए (गेहूं ओएमएसएस) की कोई जरूरत नहीं है।’
भारत ने वित्त वर्ष 2024-25 में ओएमएसएस के तहत करीब 30 लाख टन गेहूं बेचा, जबकि 2023-24 में करीब 1.01 करोड़ टन गेहूं की बिक्री की गई थी। देश का गेहूं उत्पादन फसल वर्ष 2024-25 में रिकॉर्ड 11.75 करोड़ टन रहने का अनुमान है।
चोपड़ा ने यह भी कहा कि सरकार जल्द ही मसौदा आदेश को लागू करेगी जिसके तहत सभी वनस्पति तेल एक्सपेलर्स, प्रॉसेसर्स और उत्पादकों के लिए एक केंद्रीय पोर्टल पर पंजीकरण अनिवार्य कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि तिलहन के क्षेत्र की मौजूदा तकनीकें उपज बढ़ाने के पर्याप्त अवसर प्रदान करती हैं और नई विकसित भारतीय किस्में वैश्विक स्तर पर शीर्ष प्रदर्शन करने वाले देशों के बराबर जेनेटिक क्षमता प्रदर्शित करती हैं।
ओएमएसएस के माध्यम से चावल की बिक्री के बारे में चोपड़ा ने कहा कि सरकार 50 लाख टन चावल की बिक्री कर रही है, जिससे पंजाब, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश और हरियाणा सहित चार-पांच राज्यों में टूटे चावल की मात्रा 25 प्रतिशत से घटकर 10 प्रतिशत रह जाएगी। इसका उद्देश्य 100 प्रतिशत टूटे चावल में से 15 प्रतिशत चावल ‘डिस्टिलरी’ और अन्य को बेचना है, जबकि शेष 10 प्रतिशत टूटे चावल की नीलामी निजी व्यापारियों को की जाएगी।
चोपड़ा ने बिक्री लक्ष्य को आसानी से हासिल करने का विश्वास व्यक्त करते हुए कहा , ‘यह बिक्री घरेलू बाजार के लिए है। मिलें 15 प्रतिशत टूटे चावल को अलग करने के लिए तैयार हैं। अब तक की प्रतिक्रिया अच्छी रही है।’ टूटा चावल फिलहाल निजी कंपनियों को बेचा जा रहा है और ‘शायद अगले चरण में हम सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) को भी शामिल करेंगे।’ उन्होंने कहा कि 10 प्रतिशत टूटे चावल की पीडीएस बिक्री के लिए किसी खास क्षेत्र का चयन अभी संभव नहीं है। चोपड़ा ने कहा, ‘जब हम ऐसा करेंगे, तो पूरे देश में करेंगे।’
चीनी निर्यात के बारे में चोपड़ा ने कहा कि भारत 2024-25 सत्र (अक्टूबर-सितंबर) में अबतक 8 लाख टन चीनी का निर्यात कर चुका है। सरकार ने 20 जनवरी, 2025 से चीनी निर्यात की अनुमति दी है। इसमें इस सत्र के लिए निर्यात की सीमा 10 लाख टन निर्धारित की गई है। चोपड़ा ने कहा कि अगले सत्र के लिए निर्यात सीमा अभी से तय करना जल्दबाजी होगी।
इस सम्मेलन में अपने संबोधन में खाद्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि खाद्य कंपनियों को तेल पर आयात शुल्क घटाए जाने का फायदा ग्राहकों को पहुंचाना चाहिए।