उत्तर बंगाल में हुई भारी बारिश और भूस्खलन से चाय उत्पादन के आखिरी चरण में संकट के बादल मंडराने लगे हैं और उत्पादन प्रभावित होने की आशंका है। शनिवार रात से रविवार तक हुई भारी बारिश ने उत्तर बंगाल में तबाही मचाई, जिससे भूस्खलन, बाढ़ और पहाड़ी एवं मैदानी इलाकों में भारी नुकसान हुआ। इस प्राकृतिक आपदा के कारण अब तक 28 लोगों की जान जा चुकी है।
चाय क्षेत्र से अभी धीरे-धीरे जानकारी आ रही है। मगर उद्योग के अधिकारियों का कहना है कि कुछ बागानों में झाड़ियां नष्ट हो गई हैं और बुनियादी ढांचे को भी भारी नुकसान हुआ है। भारतीय चाय संघ के अध्यक्ष संदीप सिंघानिया ने कहा कि स्थिति भयावह है। उन्होंने कहा, ‘भारी बारिश के अलावा भूटान और नेपाल की नदियों के उफान से बाढ़ आ गई, जिससे स्थिति और बदतर हो गई। कई बागान डूब गए। श्रमिकों के मकान तबाह हो गए और चाय की फसलें नष्ट हो गईं।’
सिंघानिया ने कहा कि डुआर्स और दार्जिलिंग दोनों ही प्रभावित हुए हैं और पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण दार्जिलिंग में इसका अच्छा खासा असर देखने को मिला है। डुआर्स और दार्जिलिंग वाले उत्तर बंगाल का चाय उत्पादक क्षेत्र देश के कुल चाय उत्पादन में करीब 29 फीसदी हिस्सेदारी रखता है।
चाय अनुसंधान संघ के दार्जिलिंग सलाहकार केंद्र के वरिष्ठ सलाहकार अधिकारी बीके लस्कर ने कहा कि कुछ बागानों से आई खबरों से पता चलता है कि चाय की खेती वाले जमीन के कुछ हिस्से भूस्खलन से प्रभावित हुए हैं। मगर अभी इसके प्रभाव का आकलन करना मुश्किल है, लेकिन उत्पादन पर भी असर पड़ने के पूरे आसार हैं।
उन्होंने कहा, ‘एक-दो बागानों में पानी कारखाने में घुस गया है, जिससे उत्पादन प्रभावित होगा। इसके अलावा, जब भी भारी बारिश होती है तो उत्पादन अस्थायी रूप से बंद हो जाता है और इसका खुद ब खुद असर उत्पादन पर पड़ता है। फिलहाल, बागानों में मौजूद कार्यबल के चाय तोड़ने के बजाय काम को दोबारा पटरी पर लाने पर ध्यान केंद्रित करने की अधिक संभावना है।’ गुडरिक समूह के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्य अधिकारी शैबाल दत्त ने कहा, ‘दार्जिलिंग के हमारे बागानों में भूस्खलन के कारण चाय की बहुत सारी झाड़ियां नष्ट हो गईं। कुल कितना क्षेत्र प्रभावित हुआ है इसका सटीक आकलन अभी किया जा रहा है।’
दत्त ने कहा, ‘हमारे डुआर्स बागानों में कुछ चाय बागानों में पानी भर गया है और कुछ हिस्से जलमग्न हैं। हमारे एक बागान के कारखाने में रात में पानी घुस गया, जिससे उत्पादन में बाधा आई। हालांकि, समय पर की गई कार्रवाई से हम पानी को छंटाई कक्ष में जाने से रोक पाए, जहां चाय रखी जाती है।’
दत्त ने कहा कि बागान प्रबंधन बागान के कर्मचारियों, निवासियों और उनके परिवारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के वास्ते हर संभव कोशिश कर रहा है। उन्होंने कहा कि मौसम साफ हो गया है, लेकिन इलाका अभी भी रेड अलर्ट पर है। उन्होंने कहा, ‘हालांकि, पहले भी भारी बारिश हुई है, लेकिन इस तरह की स्थिति का हमने पहले कभी सामना नहीं किया था।’
दार्जिलिंग चाय के सबसे बड़े उत्पादक चामोंग समूह के अशोक लोहिया ने कहा कि जान-माल और बागानों को नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा, ‘हमें मिल रही खबरों के मुताबिक, हमारे बागानों में तीन लोगों की मौत हो गई है। हमारा कुछ बागान क्षेत्र नष्ट हो गया है और इससे उत्पादन में भारी नुकसान होने की आशंका है।’