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CACP ने सरसों और कुसुम के न्यूनतम समर्थन मूल्य को तेल की मात्रा से जोड़ने की सिफारिश की

2026-27 के लिए रबी फसलों की कीमत को लेकर ताजा पॉलिसी रिपोर्ट में ये सिफारिश की गई है

Last Updated- October 03, 2025 | 9:52 PM IST
mustard oil
प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो

कृषि लागत व मूल्य आयोग (सीएसीपी) ने कहा है कि सरसों और कुसुम जैसे तिलहनों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को तेल की मात्रा से जोड़ा जाना चाहिए, ताकि किसानों के लिए बेहतर लाभ सुनिश्चित हो सके और उन्हें प्रोत्साहन मिल सके। 2026-27 के लिए रबी फसलों की कीमत को लेकर ताजा पॉलिसी रिपोर्ट में ये सिफारिश की गई है।

सीएसीपी ने कहा, ‘भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने सरसों और कुसुम में तेल की पैदावार बढ़ाने के लिए उच्च तेल सामग्री वाली कई किस्में और प्रबंधन पद्धतियां विकसित की हैं। बहरहाल किसानों को इन किस्मों के इस्तेमाल को लेकर प्रोत्साहन कम मिलेगा, जब तक कि उन्हें ज्यादा तेल मिलने वाली किस्मों के लिए बेहतर कीमत नहीं मिलती है। इसलिए यह जरूरी है कि तेल की अधिक मात्रा वाली किस्मों का उत्पादन करने वाले किसानों को प्रोत्साहन दिया जाए। आयोग की सिफारिश है कि सरसों और कुसुम के न्यूनतम समर्थन को उसमें निकलने वाले तेल की मात्रा से जोड़ा जाना चाहिए, जिसमें सरसों के लिए 34 प्रतिशत और कुसुम के लिए 28 प्रतिशत तेल की मात्रा का मानक तय किया जा सकता है।’

एक निश्चित स्तर (सरसों के मामले में 34 प्रतिशत और कुसुम के मामले में 28 प्रतिशत) से प्रत्येक 0.25 प्रतिशत अंक तेल की मात्रा में बढ़ोतरी पर किसानों को अतिरिक्त प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए, जिससे कि अधिक तेल वाली किस्मों की खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जा सके। सीएसीपी की कीमत से इतर सिफारिशें व्यापक तौर पर परामर्श होती हैं और वे सरकार के लिए बाध्यकारी नहीं हैं।

भारत ने विपणन वर्ष 2023-24 (नवंबर से अक्टूबर) में 160 लाख टन खाद्य तेल का आयात किया है, जिसकी कीमत 1,32,000 करोड़ रुपये है। महामारी से प्रभावित वर्ष 2021-22 से खाद्य तेल का आयात घटा है, जब यह 1,57,000 करोड़ रुपये के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया था।

सीएसीपी ने कहा है कि तेल की मात्रा के आधार पर प्रोत्साहन का निर्धारण तेल और खली की मात्रा और खली की कीमत के आधार पर की जानी चाहिए। अगर खाद्य तेल के लिए राष्ट्रीय मिशन को प्रभावी तरीके से लागू किया जाता है तो इससे मांग और आपूर्ति के बीच अंतर को पाटने में मदद मिलेगी।

First Published - October 3, 2025 | 9:52 PM IST

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