कोयला मंत्रालय कोल इंडिया लिमिटेड और नेयवेली लिग्नाइट कॉरपोरेशन के साथ मिलकर 41,042 करोड़ रुपये की 60 परियोजनाएं निजी निवेश के लिए देगा। इससे सरकार का राष्ट्रीय परिसंपत्ति मुद्रीकरण लक्ष्य बढ़कर 2.9 लाख करोड़ रुपये हो गया है। इनमें कोयला धुलाई संयंत्र, कोयला गैसीकरण, कोयला गोदाम बनाने या मशीनों से लदाई के लिए शुरुआती संपर्क और खदान विकासकर्ता एवं ऑपरेटर (एमडीओ) मॉडल के तहत निजी कंपनियों को खदान देना शामिल हैं। 15 एमडीओ परियोजनाओं के अलावा सभी परियोजनाएं चालू वित्त वर्ष में दे दी जाएंगी। एमडीओ परियोजनाएं वित्त वर्ष 2022 से 2024 के बीच दी जाएंगी।
जब केंद्र ने अन्य मंत्रालयों के लिए 2.5 लाख करोड़ रुपये का महत्त्वाकांक्षी परिसंपत्ति मुद्रीकरण लक्ष्य तय किया था, उस समय कोयला मंत्रालय के लिए कोई लक्ष्य तय नहीं किया गया था क्योंकि नीति आयोग को कोयला परियोजनाओं में ज्यादा निवेश आने की उम्मीद नहीं थी। दुनिया भर में कार्बन मुक्त बनने पर जोर के कारण कंपनियां तथा निवेशक पर्यावरण, सामाजिक, कंपनी प्रशासन (ईएसजी) लक्ष्यों के तहत जीवाश्म ईंधन से दूरी बना रहे हैं। लेकिन कोयला मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि भारत के कोयला क्षेत्र पर ईएसजी का ऐसा दबाव नहीं है और कोयले की मांग के कारण निवेश बढ़ेगा।
कोयला मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘हम कोयले की आपूर्ति एवं गुणवत्ता सुधारने वाली परियोजनाएं दे रहे हैं। कोल इंडिया एमडीओ मॉडल के तहत बहुत सी खदानें ठेके पर दे रही है। राजस्व के लिहाज से यह अनुकूल भी है। कंपनियों और निवेशकों ने पिछली वाणिज्यिक कोयला नीलामी के दौरान क्षेत्र में भरोसा दिखाया है।’कोयला मंत्रालय एमडीओ मॉडल के तहत उन खदानों को भी उत्पादन के लिए देने की योजना बनाना रहा है, जिनका इस्तेमाल ही नहीं हुआ है या जिन्हें छोड़ दिया गया है।