facebookmetapixel
उच्च विनिर्माण लागत सुधारों और व्यापार समझौतों से भारत के लाभ को कम कर सकती हैEditorial: बारिश से संकट — शहरों को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के लिए तत्काल योजनाओं की आवश्यकताGST 2.0 उपभोग को बढ़ावा दे सकता है, लेकिन गहरी कमजोरियों को दूर करने में कोई मदद नहीं करेगागुरु बढ़े, शिष्य घटे: शिक्षा व्यवस्था में बदला परिदृश्य, शिक्षक 1 करोड़ पार, मगर छात्रों की संख्या 2 करोड़ घटीचीन से सीमा विवाद देश की सबसे बड़ी चुनौती, पाकिस्तान का छद्म युद्ध दूसरा खतरा: CDS अनिल चौहानखूब बरसा मॉनसून, खरीफ को मिला फायदा, लेकिन बाढ़-भूस्खलन से भारी तबाही; लाखों हेक्टेयर फसलें बरबादभारतीय प्रतिनिधिमंडल के ताइवान यात्रा से देश के चिप मिशन को मिलेगी बड़ी रफ्तार, निवेश पर होगी अहम चर्चारूस से तेल खरीदना बंद करो, नहीं तो 50% टैरिफ भरते रहो: हावर्ड लटनिक की भारत को चेतावनीअर्थशास्त्रियों का अनुमान: GST कटौती से महंगाई घटेगी, RBI कर सकता है दरों में कमीअमेरिकी टैरिफ और विदेशी बिकवाली से रुपये की हालत खराब, रिकॉर्ड लो पर पहुंचा; RBI ने की दखलअंदाजी

बेमौसम बारिश से बरबाद हुआ मलिहाबादी दशहरी आम, किसानों को रुला रहे दाम

बेतहाशा पड़ी गर्मी, अनियमित बारिश और उमस के चलते दशहरी का 40-45 दिलों तक चलने वाला सीजन इस बार घटकर आधा रह गया है।

Last Updated- June 18, 2025 | 11:36 PM IST
Mango Malihabadi
प्रतीकात्मक तस्वीर

उत्तर प्रदेश में पहली बार दशहरी के सीजन की शुरूआत होते ही उत्पादक किसान सड़कों पर माल फेंक रहे और बर्बाद हो जाने की गुहार लगाते हुए सरकार से राहत पैकेज की मांग कर रहे हैं। मौसम में आए अभूतपूर्व बदलाव के चलते समय से पहले पककर अंदर से खराब हो रहा दशहरी आम कौड़ी के भाव बिक रहा है। हालात इतने खराब हैं कि बाहर के कारोबारी इस बार मलिहाबादी दशहरी उठाने में कोई रुचि नहीं दिखा रहे हैं और स्थानीय बाजारों में कीमत एक दशक के सबसे निचले स्तर पर जा पहुंची है।

क्या कह रहे कृषि वैज्ञानिक 

बेतहाशा पड़ी गर्मी, अनियमित बारिश और उमस के चलते दशहरी का 40-45 दिनों तक चलने वाला सीजन इस बार घटकर आधा रह गया है। बीते कई सालों में यह पहली बार हो रहा है कि काकोरी-मलिहाबाद के फल-पट्टी क्षेत्र में सजी थोक मंडी में दशहरी 8-10 रूपये किलो के भाव बिक रहा है। कीमतों में आयी इस गिरावट के बाद भी बाजार मे लिवाल नदारद हैं।

फल-पट्टी क्षेत्र काकोरी में स्थित केंद्रीय उप्पोषण बागवानी अनुसंधन संस्थान (CISH) के वैज्ञानिकों का कहना है कि इस बार दशहरी की फसल समय से पहले पक गयी और नमी न होने व अधिक गर्मी से गुणवत्ता प्रभावित हुयी है। न केवल आम छोटे व पिलपिले हैं बल्कि बागों में नमी की कमी से समय से पहले ही गिरने लगे हैं। बागवानों का कहना है कि जून के दूसरे-तीसरे हफ्ते में ही दशहरी खत्म होने के कगार पर है।

आम कारोबारियों की सुनें 

राजधानी लखनऊ की सबसे बड़ी सीतापुर रोड व दुबग्गा स्थित फल मंडियों के आढ़तियों का कहना है कि जून का दूसरा तीसरा सप्ताह दशहरी की कीमतों में तेजी का होता है जबकि आखिरी हफ्ते व जुलाई में इसकी कीमत गिरती है। उनका कहना है कि इस बार सीजन की शुरूआत से ही दाम में भारी गिरावट देखी जा रही है। खराब क्वालिटी के चलते बाहर के कारोबारी आम खरीद ही नहीं रहे है। यहां तक कि पहली बार स्थानीय बाजारों तक में दशहरी की खरीद पहले जैसी नहीं हो रही है। थोक मंडियों में दरम्याने साइज की दशहरी 6-7 रूपये किलों तक मिल जा रही है जबकि अच्छी साइज की कीमत 8 से 10 रूपये किलो से उपर नहीं जा रही है।

आम कारोबारी हकीम त्रिवेदी के मुताबिक यह कीमतों पिछले दस सालों में कभी नहीं देखी गयी है। उनका कहना है कि इन हालात में तो जुलाई आते-आते आम सड़कों पर फिंकने लगेगा और कीमत नहीं मिलेगी। आढ़तियों का कहना है कि दशहरी की बर्बादी के बाद अब लंगड़ा और चौसा का इंतजार है जिससे कुछ मुनाफे की उम्मीद है।

आम पर हो रही राजनीति खास

उधर आम की गिरती कीमतों से परेशान मलिहाबाद के किसान बीते दो दिनों से सड़क पर आम फेंक कर प्रदर्शन कर रहे हैं। किसानों के प्रदर्शन का नेतृत्व कर भारतीय किसान यूनियन (लोकतांत्रिक गुट) के अध्यक्ष राकेश सिंह चौहान का कहना है कि सरकार को अन्य फसलों की तरह आम की भी एक न्यूनतम रेट घोषित करना चाहिए। उनका कहना है कि दशहरी के निर्यात का सरकार स्तर पर प्रबंध किया जाए ताकि किसानों को सही कीमत मिल सके हैं। भाकियू ने सरकार से राहत पैकेज की मांग करते हुए कहा है कि मांगे न माने जाने पर वो विधानसभा के सामने आम फेंक कर प्रदर्शन करेंगे।

Mango Export: जेवर एयरपोर्ट से अमेरिका पहुंचेगा यूपी का दशहरी और चौसा आम

First Published - June 18, 2025 | 9:20 PM IST

संबंधित पोस्ट