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बीयर की बिक्री में स्थिरता, शराब की खपत तेजी से बढ़ी! क्यों महाराष्ट्र में लोग सस्ती दारू पीने पर जोर दे रहे हैं?

महाराष्ट्र में बीयर की बिक्री स्थिर रही है, जिसमें सालाना वृद्धि दर सिर्फ 1 प्रतिशत है। इसी दौरान शराब की बिक्री 6 प्रतिशत की सालाना वृद्धि दर (CAGR) से बढ़ी है।

Last Updated- March 23, 2025 | 6:22 PM IST
BEER
प्रतीकात्मक तस्वीर | फोटो क्रेडिट: Pexels

Maharashtra Beer Consumption: महाराष्ट्र में बीयर की खपत लगभग कोविड से पहले के स्तर पर पहुंच गई है, जबकि शराब की खपत उपभोक्ताओं के बीच तेजी से बढ़ी है। इंडस्ट्री का कहना है कि राज्य में बीयर पर टैक्स ने इसे अन्य मादक पेय पदार्थों की तुलना में महंगा बना दिया है। ब्रुअर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के डायरेक्टर जनरल ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, “पिछले एक दशक या उससे अधिक समय में, महाराष्ट्र में बीयर की बिक्री स्थिर रही है, जिसमें सालाना वृद्धि दर सिर्फ 1 प्रतिशत है। यह बहुत अजीब है क्योंकि इसी दौरान शराब की बिक्री 6 प्रतिशत की सालाना वृद्धि दर (CAGR) से बढ़ी है। इसका मूल कारण बीयर पर अत्यधिक टैक्स है, जिसने इसे बहुत महंगा बना दिया है।”

उन्होंने समझाया कि पिछले 10 सालों में बीयर पर उत्पाद शुल्क 34 प्रतिशत बढ़ गया है, जबकि भारतीय निर्मित विदेशी शराब (IMFL) पर यह केवल 9 प्रतिशत बढ़ा है। गिरी ने कहा, “इसका कोई मतलब नहीं है क्योंकि इससे कई उपभोक्ता सस्ती शराब की ओर रुख करने को मजबूर होते हैं।”

स्ट्रांग बीयर पर उत्पाद शुल्क (excise duty) FY11 के बाद से तीन बार बदला गया है और मिल्ड बीयर पर दो बार। इसके अलावा VAT भी तीन बार बदला गया है और इसे 25 प्रतिशत से बढ़ाकर 40 प्रतिशत तक कर दिया गया है। इंडस्ट्री के लोगों का कहना है कि राज्य में उत्पाद शुल्क की बढ़ोतरी ने बीयर की खपत को इसके साथ-साथ कम कर दिया है।

‘सरकार को ध्यान देने की जरूरत’

कार्ल्सबर्ग इंडिया ने भी कहा कि महाराष्ट्र में ब्रुइंग इंडस्ट्री की बढ़ोतरी टैक्स में हो रहे लगातार उतार-चढ़ाव की वजह से धीमी पड़ गई है। कार्ल्सबर्ग इंडिया के वाइस प्रेसिडेंट (कॉर्पोरेट अफेयर्स) ऋषि चावला ने कहा, “एक संतुलित टैक्स पॉलिसी जिम्मेदार विकल्पों को बढ़ावा दे सकती है, स्थानीय कृषि को समर्थन दे सकती है और एक निष्पक्ष बाजार बना सकती है। एक बेहतर दृष्टिकोण महाराष्ट्र को अपनी प्रतिस्पर्धी बढ़त वापस दिलाने में मदद कर सकता है, साथ ही एक टिकाऊ और जिम्मेदार ड्रिंकिंग कल्चर को बढ़ावा दे सकता है।”

उन्होंने आगे कहा, “इस क्षेत्र के पिछले नेतृत्व के बावजूद, कर असमानताओं (taxation disparities) के कारण इंडस्ट्री की बढ़ोतरी धीमी हो गई है। बीयर, जिसमें अल्कोहल की मात्रा कम होती है, शराब से बेहतर मानी जाती है लेकिन फिर भी इसे मजबूत मादक पेय पदार्थों या शराब की तुलना में असमान रूप से अधिक टैक्स लगाया जाता है।” इंडस्ट्री के आंकड़ों के अनुसार, महाराष्ट्र में बीयर की खपत प्रमुख राज्यों में तीसरे स्थान पर खिसक गई है। FY13 में, महाराष्ट्र बीयर का सबसे बड़ा उपभोक्ता था।

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First Published - March 23, 2025 | 5:29 PM IST

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