मध्य प्रदेश ग्रामीण अर्थव्यवस्था में करीब 25,000 करोड़ रुपये डालने जा रहा है। राज्य ने अब तक की सबसे बड़ी गेहूं खरीद की है और वह 2020-21 में देश का सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक बन गया है।
राज्य में अब तक 127 लाख टन गेहूं की खरीद हुई है, जो अगले कुछ सप्ताह में प्रक्रिया समाप्त होने तक 130 लाख टन पहुंचने की संभावना है। पंजाब इस साल की अपनी खरीद बंद कर चुका है और राज्य में 126 लाख टन गेहूं की खरीद हुई है।
बहरहाल बड़े पैमाने पर खरीद के कारण राज्य सरकार भंडारण संबंधी चुनौतियों से जूझ रही है। रविवार तक करीब 7.5 प्रतिशत खरीदे गए गेहूं को सुरक्षित स्थान तक पहुंचाने की प्रक्रिया चल रही थी। सरकारी अधिकारियों को भरोसा है कि अगले कुछ दिन में खरीद खत्म होने पूरे गेहूं का सुरक्षित भंडारण कर लिया जाएगा।
इस साल मध्य प्रदेश में करीब 300 लाख टन गेहूं का उत्पादन हुआ है, यह भी अब तक का सर्वाधिक उत्पादन है।
राज्य के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति के प्रमुख सचिव शिव शेखर शुक्ला ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘खरीद की प्रक्रिया खत्म होने के बाद गेहूं को बोरों में भरने व गोदाम मं भंडारण में करीब 15 दिन लगते हैं। लेकिन इस बार हमारी ढुलाई की क्षमता पहले दिन से ही 85 से 90 प्रतिशत है। खरीद अभी चल रही है, ऐसे में पूरे अनाज के भंडारण में अभी 7 से 10 दिन लग जाएंगे।’ उन्होंने कहा कि भारी खरीद के बावजूद भंडारण की कोई समस्या नहीं है और राज्य में 2,000 गोदाम व अनन्य सुविधाएं हैं, जहां राज्य उचित तरीके से खरीद केंद्रों से ले जाकर भंडारण कर सकता है।
राज्य मेंं सामान्यतया 10 लाख किसान गेहूं की बिक्री सरकार को हर साल करते हैं, लेकिन इस साल संख्या करीब 60 प्रतिशत बढ़ी है क्योंकि निजी खरीद बहुत मामूली है। शुक्ला ने कहा, ‘हमने पहले ही 16 लाख किसानों के खातों में 20,500 करोड़ रुपये जमा कर दिए हैं, जिसमें करीब 10 लाख लघु और सीमांत किसान हैं, जबकि शेष की प्रक्रिया चल रही है।’ इस साल गेहूं बेचने वाले लघु एवं सीमांत किसानों की संख्या पिछले साल की तुलना में करीब 73 प्रतिशत बढ़ी है। उन्होंने कहा कि राज्य को खरीद के आंकड़े बढऩे की जानकारी थी और उसी के मुताबिक इंतजाम किए गए हैं।
