Litchi price: इस साल लीची का स्वाद महंगा पड़ रहा है। इसकी वजह लीची के उत्पादन में कमी आना है। प्रतिकूल मौसम के कारण इस साल खासकर शाही लीची का उत्पादन घटा है। उपभोक्ताओं को भले ही लीची के ज्यादा दाम चुकाने पड़ रहे हैं। लेकिन बिहार के शाही लीची किसानों पर दोहरी मार पड़ रही है। एक तो उत्पादन कम होने से कुल आमदनी घटी है। दूसरा गुणवत्ता अच्छी न होने से बाहर माल भेजने पर काफी माल खराब होने से वाजिब दाम नहीं मिल पा रहे हैं।
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2024 में क्यों घटा लीची का उत्पादन?
बिहार के मुजफ्फरपुर स्थित राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र के निदेशक बिकास दास कहते हैं कि अभी पड़ रही गर्मी का लीची की फसल पर ज्यादा असर नहीं है। लेकिन पिछले साल फूल आने के समय नवंबर-दिसंबर के दौरान मौसम गर्म था। जिससे इस साल बिहार की शाही लीची की फसल प्रभावित हुई और इस साल इसका उत्पादन 30 फीसदी से अधिक घटने की संभावना है। भारतीय लीची उत्पादक संघ के अध्यक्ष बच्चा प्रसाद सिंह ने बताया कि दिसंबर में गर्म मौसम से तो नुकसान हुआ ही, साथ ही मार्च-अप्रैल में भी गर्मी से लीची फल का दाना नहीं बन पाया। इस साल सबसे अधिक नुकसान शाही लीची को हुआ है और इसका उत्पादन 50 से 60 फीसदी घटा है। लेकिन चाइना लीची का उत्पादन अच्छा होने का अनुमान है। जिसकी आवक अगले महीने से शुरू होने वाली है। सिंह कहते हैं कि इस साल बिहार में कुल मिलाकर करीब 1.5 लाख टन लीची पैदा होने का अनुमान है। पिछले साल यह आंकड़ा 2 लाख टन से अधिक था। बिहार में लीची का सामान्य उत्पादन 3 लाख टन है।
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उपभोक्ताओं के लिए लीची महंगी, किसान फिर भी नुकसान में
उत्पादन घटने से इस साल लीची के दाम ज्यादा हैं। दिल्ली की आजादपुर मंडी में लीची के दाम इस समय 60 से 160 रुपये किलो हैं। शुरुआत में भाव 120 से 240 रुपये किलो तक थे। पिछले साल लीची 150 रुपये किलो तक ही बिकी थी। सिंह कहते हैं कि उपभोक्ताओं को भले ही लीची महंगी पड़ रही हो। लेकिन किसानों को दोहरा नुकसान झेलना पड़ रहा है। पहला नुकसान तो उत्पादन घटने से कुल आय पिछले साल से कम होने के कारण हुआ है। दूसरा नुकसान लीची की गुणवत्ता अच्छी न होने से हो रहा है। सिंह ने बताया कि प्रतिकूल मौसम के कारण इस साल लीची का दाना कमजोर है। जिसे बाहर भेजने पर 20 से 25 फीसदी फल खराब हो जाता है। 10 किलो की जिस पेटी का दाम 1,500 रुपये मिलना चाहिए, उसकी कीमत 1,000 रुपये भी मुश्किल से मिल पा रही है क्योंकि बाहर कारोबारियों के पास माल पहुंचते पहुंचते 2 से 3 किलो लीची खराब निकल जाती है। स्थानीय बाजार में जरूर लीची की कीमत पिछले साल के 60 रुपये की तुलना में 80 रुपये किलो मिल रही है। लेकिन स्थानीय बाजार में लीची बिकता कम है।