Kharif sowing 2024: इस साल खरीफ फसलों की बोआई में बढ़ोतरी दर्ज की गई है और यह खत्म होने के करीब है। चालू खरीफ सीजन में अब तक खरीफ फसलों का रकबा 1,000 लाख हेक्टेयर पार कर गया है। इस सीजन की सबसे बड़ी फसल धान की बोआई में भी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इसके साथ ही दलहन, तिलहन, मोटे अनाज की बोआई में इजाफा हुआ है। हालांकि कपास के रकबा में कमी आई है।
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के 20 अगस्त को जारी आंकड़ों के अनुसार 1,031.56 लाख हेक्टेयर में खरीफ फसलों की बोआई हो चुकी है, जो पिछले साल की समान अवधि में 1,010.52 लाख हेक्टेयर में हुई बोआई से 2 फीसदी अधिक है। खरीफ सीजन की सबसे बड़ी फसल धान का रकबा अब तक 369.05 लाख हेक्टेयर दर्ज किया गया, जो पिछली समान अवधि के 349.49 लाख हेक्टेयर रकबा से 5.59 फीसदी ज्यादा है। इस साल कपास की बोआई पिछले साल के 122.15 लाख हेक्टेयर से 9 फीसदी घटकर 111.07 लाख हेक्टेयर रह गई।
चालू खरीफ सीजन में अब तक 186.77 लाख हेक्टेयर में तिलहन फसलें बोई जा चुकी हैं, जो पिछले साल इसी अवधि में 185.13 लाख हेक्टेयर में बोई गई तिलहन फसलों से करीब एक फीसदी ज्यादा है। इस दौरान इस सीजन की सबसे बड़ी तिलहन फसल सोयाबीन का रकबा 125.11 लाख हेक्टेयर दर्ज किया गया, पिछली समान अवधि में यह आंकड़ा 123.85 लाख हेक्टेयर था।
इस सीजन में मूंगफली का रकबा पिछले साल के 42.61 लाख हेक्टेयर से 8.80 फीसदी बढ़कर 46.36 लाख हेक्टेयर हो गया। तिल का रकबा पिछले साल के 11.35 लाख हेक्टेयर से घटकर 10.55 लाख हेक्टेयर रह गया।
चालू खरीफ सीजन में अब तक दलहन फसलों का रकबा 120.18 लाख हेक्टेयर दर्ज किया गया, जो पिछली समान अवधि के रकबा 113.69 लाख हेक्टेयर से 5.70 फीसदी अधिक है। इस साल अब तक 45.78 लाख हेक्टेयर में अरहर बोई जा चुकी है, जो पिछले साल इसी अवधि में 40.74 लाख हेक्टेयर में बोई गई अरहर से 12.37 फीसदी अधिक है। मूंग का रकबा 9.8 फीसदी बढ़कर 33.24 लाख हेक्टेयर हो गया, जबकि उड़द की बोआई पिछले साल के 29.52 लाख हेक्टेयर से घटकर 28.33 लाख हेक्टेयर रह गई।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार इस साल मोटे अनाजों का रकबा 181.11 लाख हेक्टेयर दर्ज किया गया, जो पिछले साल की समान अवधि के 176.39 लाख हेक्टेयर रकबा से 2.67 फीसदी ज्यादा है। मोटे अनाजों में मक्का का रकबा 7.36 फीसदी बढ़कर 87.23 लाख हेक्टेयर हो गया। हालांकि इस साल मोटे अनाजों में मक्का के बाद दूसरी बड़ी फसल बाजरा की बोआई 4.16 फीसदी घटकर 66.91 लाख हेक्टेयर रह गई।