केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने आज कहा कि मोदी सरकार दिसंबर 2027 तक भारत को दलहन के मामले में आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रतिबद्ध है और यह सुनिश्चित करेगी कि जनवरी 2028 से देश में एक भी किलोग्राम दाल का आयात न किया जाए। यह बात उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (नेफेड) व भारतीय राष्ट्रीय उपभोक्ता सहकारी संघ (एनसीसीएफ) द्वारा किसानों से अरहर की खरीद के लिए पोर्टल के लॉन्च के अवसर पर कही।
शाह ने यह भी कहा कि इस पोर्टल के माध्यम से सरकार कम से कम न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर अरहर की खरीद सुनिश्चित करेगी। किसानों को फसल आने से पहले पोर्टल पर पंजीयन कराना होगा।
बाजार में अरहर के दाम एमएसपी से ज्यादा होने पर इस फसल को औसत बाजार मूल्य पर खरीदा जाएगा और इसका भुगतान किसानों को डीबीटी के माध्यम से किया जाएगा। पंजीयन कराने वाले किसान बाहर भी अपनी उपज बेचने के लिए स्वतंत्र होंगे। शाह ने यह भी कहा कि अरहर की तर्ज पर उड़द व मसूर और एथनॉल के लिए मक्के की भी कम से कम एमएसपी पर खरीद की जल्द ही व्यवस्था की जाएगी।
आईग्रेन इंडिया के कमोडिटी विश्लेषक राहुल चौहान ने कहा कि अब सरकारी एजेंसियां एमएसपी से ज्यादा दाम पर भी अरहर खरीदेंगी। यह किसानों के लिए अच्छी पहल है और इससे 2027 तक हम दालों में आत्मनिर्भर होंगे।
हालांकि ऑल इंडिया दाल मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेश अग्रवाल ने इस कदम पर संदेह जताया और कहा कि यह देखना होगा कि किसानों को कितना फायदा होता है क्योंकि नेफेड और एनसीसीएफ को बेचने के लिए बहुत सारी शर्तें और गुणवत्ता मानदंड हैं जिन्हें कई लोग पूरा नहीं कर सकते हैं।
वर्ष 2016-17 के खरीफ सीजन में अरहर का उत्पादन 48.7 लाख टन के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया था। बीते वर्षो में लगातार गिरकर अब यह वर्ष 2023-24 के खरीफ सीजन घटकर 34.2 लाख टन रहने का अनुमान है।