सरकार जल्द ही स्क्रैप (कबाड़) आयातकों के लिए दिशानिर्देश जारी कर सकती है जिससे आयातकों को अपनी खेप को यह प्रमाणित कराने में मदद मिल सकेगी कि आयातित कबाड़ में कोई रेडियोएक्टिव तत्व शामिल नहीं है।
उक्त दिशानिर्देश विदेश व्यापार महानिदेशालय द्वारा जारी किया जाएगा जिसमें स्क्रैप के आयात को रेडियोऐक्टिव तत्वों से बचाने के लिए सख्त जांच से गुजारा जाएगा।
वाणिज्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि हम कबाड़ के आयात के लिए एक शर्त रखने जा रहे हैं जिसके तहत स्क्रै प का आयात रेडियोधर्मी सामग्री से मुक्त होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि इस संबंध में जल्द ही अधिसूचना जारी की जाएगी। उन्होंने कहा कि एक प्रतिष्ठित जांच एजेंसी इस बात को प्रमाणित करेगी कि जो स्क्रैप मंगाया जा रहा है वह कहीं से भी प्रदूषित नहीं है।
हाल ही में बिजनेस स्टैंडर्ड की एक खबर में बताया गया था कि जर्मनी को किए गए कुछ स्टील सामग्री में रेडियोएक्टिव तत्व पाए गए हैं, जिससे यूरोप को निर्यात किए जाने वाले स्टील सामान का निर्यात संदेह के घेरे में आ गया था। इसके साथ ही बंदरगाहों पर रेडियोएक्टिव पदार्थों की जांच की व्यवस्था न होने की खबर भी प्रकाशित हुई थी।
अधिकारी ने कहा कि एक प्रतिष्ठित जांच एजेंसी इस बात के प्रमाण देगी कि विदेशों से मंगाए जा रहे स्क्रैप में प्रतिबंधित तत्व नहीं है। जर्मनी में रेडियोएक्टिव स्टील का मामला प्रकाश में आने के बाद से सरकार ने इस मसले पर गंभीरता से विचार किया।
साथ ही इंजीनियरिंग एक्सपोर्ट प्रोमोशन काउंसिल ने सरकार से कहा है कि आयातित स्क्रैप जिन बंदरगाहों से लाया जाता है, वहां स्कैनिंग मशीन की व्यवस्था की जानी चाहिए, जिससे कि इसमें रेडियोएक्टिव तत्व की जांच की जा सके। ईईपीसी के संयुक्त निदेशक सुरंजन गुप्ता ने कहा कि यह एक गंभीर समस्या है और अगर इस पर गंभीरता से नहीं ध्यान दिया गया तो अन्य देश भारत से किए जाने वाले निर्यात को रोक सकते हैं।