facebookmetapixel
सोना-चांदी में निवेश से पहले जरूर जानें – ETFs पर कैसे वसूला जाएगा टैक्ससितंबर में SIP निवेश ₹29,361 करोड़ की रिकॉर्ड ऊंचाई पर, क्या कहते हैं एक्सपर्टएक पिता को अपने बच्चों की जिम्मेदारी कब तक उठानी होगी? हिमाचल हाई कोर्ट के फैसले ने छेड़ी बहसDiwali Stocks Picks: एक साल में 27% तक रिटर्न! बजाज ब्रोकिंग ने चुने 2 दमदार शेयरHCLTech Q2 result: दूसरी तिमाही में कंपनी को ₹4,235 करोड़ का मुनाफा, रेवेन्यू ₹31 हजार करोड़ के पारDiwali 2025: जानें गिफ्ट और खरीदारी पर कहां लगेगा टैक्स और कहां मिलेगी छूटRetail Inflation: सितंबर में खुदरा महंगाई घटकर 1.54% पर आई, फूड इंफ्लेशन घटकर -2.28% रहीभारत-अमेरिका व्यापार समझौता पर फिर बातचीत होगी शुरू, इस हफ्ते एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल जाएगा USSBI MF ने भी Silver ETF FoF में नए निवेश पर लगाई रोक, हाई प्रीमियम का सता रहा डरITR Refund Delay: रिफंड स्टेटस ‘प्रोसेस्ड’ दिख रहा, लेकिन पैसा अकाउंट में नहीं आया? ऐसे करें समाधान

एमएसपी में इजाफे से नहीं बढ़ेगा कपास का आयात

Last Updated- December 07, 2022 | 8:06 PM IST

कपास के न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी से घरेलू बाजार में इसकी कीमत में बढ़ोतरी की संभावना है।


बावजूद इसके 2009 में भारत के कपास आयात में पर्याप्त रूप से बढ़ोतरी की उम्मीद नहीं है क्योंकि वैश्विक उत्पादन में गिरावट के आसार हैं।

सरकार ने स्टैंडर्ड कपास के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में भारी वृध्दि करते हुए इसे वर्ष 2008-09 में 3,000 रुपये (लंबे रेशे वाले कपास के लिए) प्रति क्विंटल कर दिया है, जो पिछले साल 2,030 रुपये प्रति क्विंटल था। इसी प्रकार मीडियम स्टेपल (मध्यम रेशे) वाले कपास के न्यूनतम समर्थन मूल्य को बढ़ाकर 2,500 रुपये कर दिया गया है जो पहले 1,800 रुपये प्रति क्विंटल था।

कॉटन कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक सुभाष ग्रोवर ने बताया कि पूरी दुनिया में उत्पादन में संभावित कमी के कारण वैश्विक बाजार में कीमतों पर दबाव बना सकता है। इसलिए ऐसी स्थिति में जब घरेलू कीमतों की तुलना में वैश्विक कीमतें अधिक हों तो भारतीय व्यापारी बड़े स्तर पर आयात करना पसंद नहीं करेंगे।

अंतरराष्ट्रीय कपास परामर्शक समिति ने पहले ही वर्ष 2008-09 में वैश्विक उत्पादन के छह प्रतिशत घटकर 2.47 करोड़ टन रहने का अनुमान व्यक्त किया है, जिसकी वजह वैकल्पिक फसलों की बढ़ी हुई प्रतिस्पर्धा के चलते कपास की बुआई क्षेत्र में कमी आना है।

इस उद्योग के एक विशेषज्ञ ने कहा – यहां प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में अनुकूल कृषि मौसम की वजह से कपास के घरेलू उत्पादन के बढ़ने की उम्मीद है, जिसने कीमतों पर लाभकारी प्रभाव डालने की संभावना को और बढ़ा दिया है।

ग्रोवर ने कहा कि अक्टूबर 2008 से शुरू होने वाले वर्ष में कपास उत्पादन कम से कम 320 लाख गांठ होने की उम्मीद है, जो सितंबर 2008 को समाप्त होने वाले वर्ष में 315 लाख गांठ के अनुमान से कहीं अधिक है। कपास का सत्र अक्टूबर से लेकर सितंबर तक का होता है।

विशेषज्ञ ने कहा कि मौजूदा समय में घरेलू खपत 240 लाख गांठ का है तथा आयात करीब पांच लाख गांठ का होता है। इसलिए अगर उत्पादन 325 लाख गांठ होता है और निर्यात बाजार में कीमतें तेज होती हैं, तो ऐसे हालात में आयात के प्रभावित होने की संभावना है।

ग्रोवर ने कहा कि इस बीच पंजाब और हरियाणा में इस वर्ष भारी उपज होने की उम्मीद है, जिसकी वजह पछुआ पवन द्वारा अदा की जाने वाली अनुकूल भूमिका है जो कीटों के हमले से बचाव करता है।

ग्रोवर ने कहा कि इसे अलावा अनुकूल मौसम के कारण आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में भी अच्छी फसल होने की उम्मीद है तथा मध्य प्रदेश में भी बेहतर उत्पादन हो सकता है। कम और असमान वर्षा की वजह से गुजरात और महाराष्ट्र में कपास का उत्पादन कुछ कम या स्थिर रह सकता है।

First Published - September 7, 2008 | 11:51 PM IST

संबंधित पोस्ट