Gems & Jewellery Export: टैरिफ आशंकाओं के बीच जुलाई महीने में भारतीय रत्न एवं आभूषण व्यापार में जोरदार तेजी देखने को मिली। रत्न एवं आभूषणों का कुल सकल निर्यात 15.98 फीसदी बढ़कर 18,756.28 करोड़ रुपये हो गया। कट और पॉलिश किए हुए हीरों के निर्यात में 17.76 फीसदी और आयात में 32.02 फीसदी की वृद्धि हुई। कच्चे (रफ) हीरों का आयात 1.48 फीसदी बढ़ा। पॉलिश किए हुए लैब हीरों के निर्यात में 27.61, स्वर्ण आभूषणों का 16.39 फीसदी और प्लैटिनम आभूषणों के निर्यात में 14.11 फीसदी और रंगीन रत्नों के निर्यात में 1.93 फीसदी की वृद्धि हुई।
रत्न एवं आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद (GJEPC) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, जुलाई 2025 के दौरान रत्न एवं आभूषणों का कुल सकल निर्यात 15.98 फीसदी बढ़कर 18,756.28 करोड़ रुपये हो गया, जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में यह 15,700.0 करोड़ रुपये था। दूसरी ओर, जुलाई 2025 में रत्न एवं आभूषणों का कुल सकल आयात 26.55 फीसदी बढ़कर 15,587.73 करोड़ रुपये हो गया, जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में यह 11,956.04 करोड़ रुपये था।
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यह भारी वृद्धि अगस्त 2025 से टैरिफ के खतरों से बचाव के लिए जुलाई के दौरान व्यापार गतिविधियों में तेजी के कारण हुई है। भारत में त्योहारों का मौसम शुरू हो रहा है और उसके बाद पश्चिमी देशों में छुट्टियों का मौसम शुरू हो रहा है, इसलिए व्यापार का एक बड़ा हिस्सा जुलाई 2025 में ही पूरा हो चुका है। इसके साथ ही, मौसमी मांग से परे कई कारकों, जैसे हल्के और समकालीन डिजाइनों में उत्पाद विविधीकरण, ने युवा वैश्विक उपभोक्ताओं को आकर्षित किया, जबकि भारत-यूएई सीईपीए जैसे व्यापार समझौतों के माध्यम से बेहतर बाजार पहुंच ने प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाया।
जुलाई 2025 में कट और पॉलिश किए हुए हीरों का कुल सकल निर्यात 9,230.66 करोड़ रुपये दर्ज किया गया, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि के 7,608.79 करोड़ रुपये की तुलना में 21.32 फीसदी की वृद्धि दर्शाता है। जबकि कटे और पॉलिश किए हुए हीरों का कुल सकल आयात 980.65 करोड़ रुपये रहा, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि के 720.13 करोड़ रुपये की तुलना में 36.18 फीसदी की वृद्धि दर्शाता है। वहीं अप्रैल 2025 और जुलाई 2025 के बीच कच्चे हीरों का सकल आयात 37,475.56 करोड़ रुपये रहा है, जो पिछले वर्ष के 35,962.94 करोड़ रुपये के तुलना में 4.21 फीसदी की वृद्धि देखी गई है।
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अप्रैल 2025 से जुलाई 2025 की अवधि के लिए प्लेटिनम आभूषणों का सकल निर्यात 558.73 करोड़ रुपये रहा, जो पिछले वर्ष के 476.73 करोड़ रुपये के तुलनात्मक आंकड़े की तुलना में 17.2% की वृद्धि दर्शाता है। सोने के एक प्रीमियम किन्तु सस्ते विकल्प के रूप में इस धातु के आकर्षण ने युवा उपभोक्ताओं को आकर्षित किया, और नए एवं आधुनिक हल्के डिजाइन के कारण निर्यात ऑर्डर बढ़ रहे थे।
जुलाई 2025 की अवधि के लिए पॉलिश किए गए प्रयोगशाला में उगाए गए हीरों का सकल निर्यात 1054.65 करोड़ रुपये रहा, जो पिछले वर्ष के 802.16 करोड़ रुपये के तुलनात्मक आंकड़े की तुलना में 31.48% की वृद्धि दर्शाता है। भारत में बेहतर उत्पादन क्षमता और गुणवत्ता मानकों ने प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने में मदद की है। नए बाजारों में विस्तार और वैश्विक आभूषण ब्रांडों द्वारा बढ़ते उपयोग ने विकास में और योगदान दिया।
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जुलाई 2025 में स्वर्ण आभूषणों का कुल सकल निर्यात 7,005.96 करोड़ रुपये रहा, जो पिछले वर्ष इसी महीने के 5,844.28 करोड़ रुपये की तुलना में 19.88% की वृद्धि दर्शाता है। विदेशों और भारत में त्योहारों और शादियों के मौसम के नजदीक आने के साथ, खुदरा विक्रेताओं ने नए उपभोक्ता विश्वास और सोने की कीमतों में बढ़ोतरी की उम्मीदों के साथ, स्टॉक जमा करना शुरू कर दिया।
अप्रैल 2025 – जुलाई 2025 की अवधि के लिए रंगीन रत्नों का सकल निर्यात 998.03 करोड़ रुपये में रहा, जो पिछले वर्ष के 955.25 करोड़ रुपये के तुलनात्मक आंकड़े की तुलना में रुपये में 4.48 फीसदी की वृद्धि दर्शाता है। रत्नों की कटाई और आभूषण डिजाइन तकनीकों में नवाचार के बल पर, विशेष रूप से तैयार और उच्च-मूल्य वाले रत्न आभूषणों का विशिष्ट बाजार मजबूत बना रहा।
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कामा ज्वेलरी के प्रबंध निदेशक कॉलिन शाह ने कहा कि रत्न एवं आभूषण निर्यात में पहले भू-राजनीतिक तनाव और अब टैरिफ संबंधी जटिलताओं के कारण एक गतिशील बदलाव देखने को मिल रहा है। जुलाई 2025 में मजबूत प्रदर्शन सीमा पार व्यापार गतिविधियों में भारी गिरावट से पहले एक चेतावनी पूर्ण उछाल है। हालांकि व्यापार समझौतों ने नए रास्ते खोले हैं, लेकिन सोने की ऊंची कीमतें, आर्थिक अनिश्चितताएं और अस्थिर धातु बाजार जैसी चुनौतियां अभी भी बनी हुई हैं।
उन्होंने आगे कहा कि भारत-अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार वार्ता के विकास पर बारीकी से नजर रखना जरूरी है, क्योंकि इससे दोनों देशों के बीच व्यापार गतिविधियों की आगे की दिशा तय होगी। वर्तमान में लागू 50 फीसदी व्यापार टैरिफ के साथ, इस वृद्धि को बनाए रखना मुश्किल होगा, लेकिन भारतीय त्योहारों और शादियों के मौसम की शुरुआत के साथ सोने की घरेलू मांग में तेजी आने की संभावना है, जो उद्योग के लिए राहत की बात होगी।