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सोने-चांदी की बढ़ती कीमतों के बीच बोले निलेश शाह- अन्य म्यूचुअल फंड भी रोक सकते हैं सिल्वर ETF में निवेश

शाह ने कहा, हमारे FoF को चांदी के फ्यूचर में निवेश करने की अनुमति नहीं है, केवल चांदी के ईटीएफ में है। इसलिए, हमारे पास नई खरीदारी रोकने के अलावा कोई विकल्प नहीं था।

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पुनीत वाधवा   
Last Updated- October 10, 2025 | 1:17 PM IST

सोने और चांदी की कीमतों में जबरदस्त उछाल के बीच कोटक म्यूचुअल फंड (Kotak Mutual Fund) ने अपने Kotak Silver ETF फंड ऑफ फंड (FoF) में लंपसम और स्विच-इन निवेशों पर अस्थायी रोक लगा दी है। कोटक महिंद्रा AMC के प्रबंध निदेशक निलेश शाह ने पुनीत वाधवा से फोन पर बातचीत में बताया कि अचानक यह निर्णय क्यों लिया गया और अगले संवत में इक्विटी व कमोडिटी बाजारों का रुख क्या रहेगा।

कोटक म्यूचुअल फंड ने सिल्वर ईटीएफ (एफओएफ) में लंपसम, स्विच-इन निवेश रोक दिया है। इस अचानक कदम के पीछे क्या तर्क है?

यह फैसला कीमतों की असामान्यता के चलते लिया गया। कोटक सिल्वर ETF की कीमत वैश्विक चांदी की कीमतों पर आधारित होती है, जिसे रुपये में बदलने के बाद उस पर इंपोर्ट ड्यूटी और जीएसटी जुड़ता है।

मान लीजिए, वैश्विक कीमत $50 प्रति औंस है, तो ₹90 प्रति डॉलर के हिसाब से ₹4,500 होती है। करीब 7% ड्यूटी और जीएसटी जोड़ने पर उचित कीमत ₹5,000 प्रति औंस बनती है।”

लेकिन हाजिर बाजार में ज्वेलर्स और बुलियन डीलर्स लगभग ₹5,500 प्रति औंस का भाव दे रहे हैं। यह अंतर शिपमेंट देरी, शॉर्ट कवरेज या त्योहारी मांग के चलते है। आमतौर ऐसे प्रीमियम बहुत कम होते हैं। मसलन, यह प्रीमियम 0.5% तक होता है, लेकिन 10 फीसदी नहीं। गुरुवार को, प्रीमियम करीब 12 फीसदी के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया। ऐसे में जो निवेशक मेरे सिल्वर ETF में निवेश करते हैं, वे असल में ₹5,000 की बजाय ₹5,500 चुका रहे हैं। इसलिए निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए निवेश रोकने का फैसला लिया।

क्या आपको सोने और चांदी की कीमतों में तेजी को देखते हुए इस स्कीम में रिडेम्पशन का दबाव बढ़ने की आशंका है?

हमारा फंड ऑफ फंड सिर्फ सिल्वर ETF में निवेश कर सकता है, फ्यूचर्स में नहीं। इसलिए हमने नए निवेश रोक दिए ताकि निवेशक 10% प्रीमियम पर एंट्री न करें। हमने सलाह दी है कि जो निवेशक चांदी में एक्सपोजर चाहते हैं, वे सीधे सिल्वर ETF या सिल्वर फ्यूचर्स में निवेश करें, जो फिलहाल 10% सस्ते हैं। यह कदम केवल निवेशकों की सुरक्षा के लिए है और मुझे लगता है कि अन्य फंड हाउस भी यही करेंगे।

क्या चांदी की सप्लाई में कमी कृत्रिम रूप से पैदा की गई है या यह वास्तविक है?

यह एक अस्थायी स्थिति है। कमोडिटी बाजार हमेशा अपने संतुलन पर लौट आता है। 1980 के दशक में जब हंट ब्रदर्स ने चांदी को $50 तक पहुंचाया था, तब लोगों ने बर्तन तक पिघला दिए थे। आ​खिर में सप्लाई वापस आ गई थी। ऐसे प्रीमियम लंबे समय तक नहीं टिकते।

पिछले कुछ महीनों में, क्या सोने- चांदी की कीमतों में तेजी मूलभूत वजहों के बजाय अचानक आई?

सोने-चांदी की कीमतों का पारंपरिक ‘फंडामेंटल वैल्यूएशन’ नहीं होता। इनकी वैल्यू धारणा (perception) पर आधारित होती है। लोग मानते हैं कि ये ‘स्टोर ऑफ वैल्यू’ हैं। 2022 में रूस के फॉरेक्स रिजर्व फ्रीज होने के बाद वैश्विक सेंट्रल बैंकों ने सोना खरीदना शुरू किया, जिससे कीमतें तेजी से बढ़ीं। चांदी, जिसे ‘गरीबों का सोना’ कहा जाता है, उसी के साथ बढ़ी। सोने-चांदी का अनुपात बढ़ा हुआ था, और चांदी की औद्योगिक मांग भी है।

अगस्त में, ऐसी भी अफवाह उड़ी थी कि सऊदी अरब के केंद्रीय बैंक ने चांदी के ईटीएफ खरीदे हैं। इसलिए, इन सभी फैक्टर्स ने, साथ ही कमजोर डॉलर और अमेरिका द्वारा रूसी भंडार को स्थिर करने के चालते, केंद्रीय बैंकों को डायवर्सि​फिकेशन के लिए प्रेरित किया है। वे पिछले तीन वर्षों से सालाना करीब 1,000 टन सोना खरीद रहे हैं।

क्या आपको लगता है कि केंद्रीय बैंक आगे भी सोना खरीदते रहेंगे?

चीन का आधिकारिक गोल्ड रिजर्व करीब 2,300 टन हैं, लेकिन अनौपचारिक रूप से यह 3,000 टन तक हो सकते हैं। अमेरिका के पास करीब 8,000 टन हैं। स्पष्ट है, चीन और खरीदना चाहेगा। अगर सेंट्रल बैंक सोना बेचना शुरू करें तो कीमतें गिरेंगी, लेकिन अगर खरीद जारी रखी तो बाजार मजबूत रहेगा।

अभी अब निवेशक कहां निवेश करें- इक्विटी, गोल्ड या सिल्वर?

यह केवल रिटर्न नहीं, बल्कि जोखिम प्रबंधन का भी सवाल है। सोने या चांदी का मूल्यांकन करने का कोई बुनियादी तरीका नहीं है। इन्हें मूल्य का भंडार माना जाता है। आपको अपने पोर्टफोलियो का एक बड़ा हिस्सा कीमती धातुओं में नहीं लगाना चाहिए। अगर जोखिम उठाने की क्षमता है, तो आगे बढ़ें। लेकिन ज्यादातर निवेशकों के लिए मेरी सलाह है कि सोने-चांदी में 10-12% से अधिक पोर्टफोलियो का हिस्सा नहीं होना चाहिए।

हम दोनों पर सकारात्मक हैं, लेकिन पिछले साल लेकिन पिछले साल जैसा रिटर्न या रोजाना 3-4 फीसदी की बढ़त की उम्मीद न करें। यह उस तरह से काम नहीं करता। इसमें करेक्शन आते रहेंगे।

और इक्विटी का क्या?

पिछले साल इक्विटी में जोखिम ज्यादा था, कीमती धातुएं सुरक्षित थीं। इस साल स्थिति उलट है। वैल्यूएशन घटे हैं और सरकार ग्रोथ को बढ़ावा देने के कदम उठा रही है। अगर अमेरिका से टैरिफ डील हो गई, तो यह अतिरिक्त फायदा होगा।

अगले साल आप इक्विटी से किस तरह के रिटर्न की उम्मीद करते हैं?

रिटर्न इनकम ग्रोथ पर निर्भर करेगा। वित्त वर्ष 2026-27 (FY27) के लिए, हम हाई सिंगल डिजिट से लो डबल डिजिट में इनकम ग्रोथ की उम्मीद करते हैं, और निवेशकों को भी इसी तरह के रिटर्न की उम्मीद करनी चाहिए। इससे अधिक रिटर्न एक बोनस है।

क्या फिलहाल सोना-चांदी से दूर रहना चाहिए?

बिलकुल नहीं। हम दोनों एसेट क्लास पर बुलिश हैं। लेकिन निवेशकों को सेंट्रल बैंकों की गतिविधि पर नजर रखनी चाहिए। अगर वे खरीद के बजाय बिक्री शुरू करें, तो मैं सबसे पहले निकल जाऊंगा।

सोने-चांदी के अलावा, हर कमोडिटी तांबा, प्लैटिनम… में भी आग लगी हुई है। कुल मिलाकर कमोडिटी साइकिल में हम कहां हैं?

हम मुद्रास्फीति के दौर से गुजर रहे हैं। इससे केंद्रीय बैंकों की ब्याज दरों में कटौती करने की क्षमता सीमित हो जाती है। बड़े पैमाने पर GPU का इस्तेमाल करने वाले AI डेटा सेंटर्स की भारी मांग के चलते औद्योगिक धातुओं में तेजी आ रही है। AI के बुनियादी ढांचे में खरबों डॉलर का निवेश किया जा रहा है। कमजोर डॉलर और AI-संचालित डिमांड के कारण मेटल्स की कीमतें बढ़ रही हैं।

इसका दूसर असर मौद्रिक पॉलिसी पर पड़ रहा है। वैश्विक स्तर पर अब तक 160 से ज्यादा रेट कट्स की घोषणा हो चुकी है, लेकिन अगर महंगाई फिर बढ़ती है, तो सेंट्रल बैंक इन कट्स को रोक सकते हैं या रिवर्स कर सकते हैं। इससे ग्रोथ प्रभावित हो सकती है। इस तरह, यह वर्तमान में वस्तुओं के लिए तेजी का दौर है, जिसे कमजोर डॉलर और मजबूत AI-संबंधित डिमांड से मदद मिल रही है और ऐसा लगता है कि यह कुछ समय तक जारी रहेगा।

First Published : October 10, 2025 | 1:17 PM IST