उत्तर प्रदेश में दो दिनों से जारी बारिश ने खरीफ की खड़ी फसल को नुकसान पहुंचाने के साथ ही रबी की बोआई पर असर डाला है। दो दिनों से प्रदेश के पूर्वी और मध्य हिस्सों में हो रही बरसात व ओलावृष्टि के चलते आलू, मटर और गेहूं की बोआई पिछड़ी है और लेट वैरायटी के धान की फसल खेतों में बिछ गयी है। सबसे ज्यादा नुकसान में फूलों की खेती करने वाले हैं जिनकी तैयार फसल बर्बाद हो कूड़ा हो गयी है।
प्रदेश में जिन किसानों ने आलू की बोआई समय रहते नवंबर में ही कर डाली उनकी फसल खराब हुयी है और दोबारा बोआई करनी पड़ेगी। वहीं मटर की अगैती फसल खेतों में सड़ने का खतरा है। बीते तीन दिनों से से प्रदेश में रुक-रुक कर जोरदार बारिश हो रही है जबकि तीन दिनों से तेज हवाएं और ओलावृष्टि भी हो रही है।
बेमौसम हो रही इस बारिश नें खरीफ की फसल से निराश किसानों की रबी की खेती का आशाओं पर पानी फेरने का काम किया है। खेतों में पानी भर जाने से न केवल आलू की बोआई पिछड़ेगी बल्कि गेंहूं पर भी असर पड़ेगा। मौसम विभाग ने अभी दो दिन तक और बारिश की आशंका जताई है।
गौरतलब है कि इस बार खरीफ के सीजन में बारिश देर से होने के चलते धान की बोआई पिछड़ी थी। बड़ी तादाद में पूर्वी उत्तर प्रदेश में किसानों ने धान की बोआई देर से की थी जिनकी फसल अब कटने को खड़ी है। तेज हवा और ओले गिरने से धान की फसल खेतों में लोट गयी है और किसानों के हाथ कुछ भी न लगने की आशंका है।
अगैती आलू और सरसों की बुआई करने वाले किसानों को बीज खेतों में ही सड़ने की चिंता सता रही है।
कृषि विभाग का कहना है कि ज्यादा बारिश होने के चलते खेतों में पानी भर गया है जिसके बाद रबी की फसलों खासकर सरसों, चना, उड़द व मसूर की बोआई और भी देर से होगी। हालांकि उनका कहना है कि उत्तर प्रदेश में बड़ी तादाद में गेहूं की बुवाई जनवरी में होती है जिसके लिए उतना दिक्कत नहीं है।
पहले दीवाली के आसपास हुई बारिश और बीते तीन दिनों से मौसम के बिगड़े मिजाज ने प्रदेश में फूलों की खेती करने वाले किसानों की फसल को कूड़े के ढेर में बदल दिया है। बीते कुछ सालों के फूलों की खेती के बड़े केंद्र में उभरे वाराणसी व आसपास के किसानों के लिए बारिश काल बनकर आयी है।
गेंदा और गुलाब की तैयार फसल बारिश के चलते काली हो गयी है जिसके बाजार में खरीददार नहीं मिल रहे हैं। सहालग के सीजन में यूपी में बंगाल और बिहार से फूलों की सप्लाई हो रही है।
किसानों का कहना है कि दीवाली में हुई बारिश ने आधे से ज्यादा गेंदे की फसल को तबाह किया था और अब बीते दो दिनों से मौसम का जो हाल है उसने पूरी की पूरी खेती चौपट कर दी है।
हालात इतने खराब हो गए हैं कि किसान वाराणसी फूल मंडी में अपनी उपज की कोई कीमत नहीं पा रहे हैं और उसे सड़कों पर फेंकना मजबूरी बन गया है। वाराणसी जहां से आसपास के जिलों और दिल्ली तक फूलों की सप्लाई हो रही थी वहां सहालग की मांग पूरी करने के लिए कोलकाता से फूल मंगाए जा रहे हैं।