भारत इस समय इराक, सऊदी अरब, अमेरिका, जापान और ट्यूनीशिया जैसे देशों में चाय निर्यात के विकल्प तलाश रहा है। इस मामले से जुड़े लोगों ने कहा कि यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद चाय के नए बाजार तलाशे जा रहे हैं।
इनमें से कुछ देशों के खरीदारों के साथ वहां मौजूद डिप्लोमेेटिक मिशन की मदद से वर्चुअल बैठकें भी कराई जा रही हैं। शेष देशों के साथ भी इस तरह की बैठकें कराने की योजना है।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘चाय के निर्यात पर यूक्रेन-रूस युद्ध के असर से निपटने के लिए सरकार बहुआयामी रणनीति पर विचार कर रही है। इस तरीके से निर्यात केंद्रों के विस्तार से न सिर्फ मौजूदा संकट से निपटने में मदद मिलेगी, बल्कि इससे भारतीय चाय को विश्व के हर कोने में पहुंचाने में मदद मिलेगी।’
चाय बोर्ड ने पहले ही रूस और स्वतंत्र राज्यों के राष्ट्रमंडल (सीआईएस) देशों को चाय निर्यात करने वाले दिग्गजों से बात की है, जिससे उनकी चिंता जानी जा सके और उन्हें मदद के तरीके निकाले जा सके। निर्यातकों ने चीन के क्विंगडाओ मार्ग के माध्यम से सीआईएस देशों के साथ निर्यात बहाल करने की बात कही है, जिसका इस्तेमाल पहले होता था।
एक अन्य अधिकारी ने कहा, ‘रूस के सभी परंपरागत रास्ते रुके हुए हैं, जिसकी वजह से निर्यातकों ने चीन मार्ग की सलाह दी है। इस मार्ग का इस्तेमाल बहुत पहले होता था, लेकिन लॉजिस्टिक्स मसला आने के बाद इस्तेमाल बंद हो गया। बहरहाल यह स्थल मार्ग है और लंबी दूरी तय करनी पड़ती है। इस मार्ग को पुनर्विकसित करने (उत्तरी चीन से रूस) में भी वक्त लगेगा।’ उपरोक्त उल्लिखित अधिकारी ने कहा, ‘लेकिन इस विकल्प की कवायद करना सही होगा क्योंकि हम नहीं जानते कि टकराव कब खत्म होगा।’दोनों देशों के बीच चल रही जंग का असर पड़ोसी देशों को होने वाले निर्यात पर पड़ रहा है। रूस आने व जाने वाले कॉर्गो की आवाजाही स्थगित हो रही है। युद्ध के कारण बंदरगाह बंद हैं, जिससे आवाजाही नहीं हो रही है। मालभाड़ा और बढ़ गया है।
चालू वित्त वर्ष की शुरुआती 3 तिमाही में भारत ने 5217.2 लाख डॉलर के चाय का निर्यात किया है, जिसमें से 15 प्रतिशत सीआईएस देशों को गया है। इन सीआईएस देशों में रूस और यूक्रेन ने तीन चौथाई खरीद की है। विघटन के पहले यूएसएसआर भारतीय चाय का बड़ा बाजार था।