यूरोपीय संघ (ईयू) द्वारा कोटा में कटौती करने और कोटा से ऊपर की मात्रा पर 50 प्रतिशत शुल्क लगाने के प्रस्तावित कदम से 2026 में भारतीय इस्पात निर्माताओं के लिए दोहरा संकट पैदा हो सकता है।
इस महीने की शुरुआत में यूरोपीय आयोग ने अधिक वैश्विक क्षमता को देखते हुए यूरोपीय संघ के इस्पात उद्योग को बचाने के लिए प्रस्ताव पेश किया था। इस योजना के तहत शुल्क मुक्त आयात 183 लाख टन प्रति वर्ष तक कम किया जाएगा, 2024 के स्तर से 47 प्रतिशत कम है। साथ ही कोटा से बाहर आयात पर शुल्क को दोगुना करके 50 प्रतिशत कर दिया जाएगा।
अगर यूरोपीय संसद और परिषद अंतिम विनियमन पर सहमत हो जाते हैं तो यह प्रस्ताव जून 2026 तक समाप्त होने वाले इस्पात सुरक्षा उपाय की जगह लेगा। अगर इसे मंजूरी मिलती है तो जनवरी 2026 से लागू होने जा रहे कार्बन बॉर्डर एडजस्टमेंट मैकेनिज्म (सीबीएएम) के साथ मिलकर यूरोपीय संघ में भारत से पहुंचने वाला स्टील कीमत के हिसाब से कम प्रतिस्पर्धी रह जाएगा। भारत के स्टील निर्यात के लिए यूरोपीय संघ सबसे बड़ा बाजार है, जहां कुल निर्यात का लगभग 45 प्रतिशत भेजा जाता है। क्रिसिल इंटेलिजेंस के निदेशक सेहुल भट्ट ने कहा कि यूरोपीय संघ ने 2024 में 274 लाख टन तैयार स्टील का आयात किया, जिसमें भारत की हिस्सेदारी 12 प्रतिशत थी। इसमें फ्लैट स्टील उत्पादों का निर्यात 97 प्रतिशत था।
यूरोपीय संघ की नई शुल्क व्यवस्था में 183 लाख टन शुल्क मुक्त आयात होना है, जिसमें फ्लैट स्टील 128 लाख टन होगा। इस हिसाब से यह 2024 के आयात से 40 प्रतिशत कम होगा। भट्ट ने कहा कि इससे भारत के कोटे में भी इसी अनुपात में कमी आने की संभावना है, क्योंकि भारत से मुख्य रूप से फ्लैट स्टील का निर्यात होता है।
इक्रा के उपाध्यक्ष सुमित झुनझुनवाला ने कहा कि यूरोपीय संघ के प्रस्ताव से भारत के इस्पात निर्यात पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है, जो अपने कुल निर्यात का 32 से 45 प्रतिशत यूपोरीय संघ को भेजता है। उन्होंने कहा, ‘जनवरी 2026 से प्रभावी प्रस्तावित प्रतिबंधों के साथ सीबीएएम भारतीय इस्पात निर्यातकों के लिए दोहरा नुकसान हो सकता है, जिससे निर्यात मात्रा में वृद्धि बाधित हो सकती है।’
अगर अप्रत्यक्ष असर के हिसाब से देखें तो इस कदम से व्यापार डायवर्जन का बढ़ने की संभावना है। झुनझुनवाला ने बताया कि वर्तमान में यूरोपीय संघ को भेजे जाने वाले लगभग 120 लाख टन एशियाई इस्पात निर्यात को भारत सहित वैकल्पिक बाजारों की ओर मोड़ा जा सकता है। उन्होंने कहा कि इन देशों की भारत के इस्पात आयात में पहले ही 70 से 75 प्रतिशत हिस्सेदारी है, ऐसे में प्रतिस्पर्धा तेज होने से घरेलू स्टील की कीमतों पर असर पड़ सकता है।
अप्रैल 2025 में केंद्र सरकार ने 12 प्रतिशत सुरक्षा शुल्क लगाया था, जो 7 नवंबर, 2025 तक लागू है।