केंद्र सरकार ने गुरुवार को अपने तीसरे अग्रिम अनुमान में कहा कि रबी सीजन में गेहूं का उत्पादन फरवरी 2023 में लगाए गए शुरुआती अनुमान से अधिक रहेगा। सरकार के मुताबिक बोआई के रकबे और उत्पादकता में वृद्धि के कारण गेहूं उत्पादन 1,127.4 लाख टन रहने की संभावना है। फरवरी में दूसरे अग्रिम अनुमान में केंद्र ने गेहूं उत्पादन 1,121.8 लाख टन रहने का अनुमान लगाया था।
हाल के आंकड़ों का मतलब है कि केंद्र सरकार के आकलन के मुताबिक बेमौसम बारिश का कुल मिलाकर कोई असर नहीं होगा, जिसने उत्तर और मध्य भारत में मार्च और अप्रैल महीने में खड़ी फसल को नुकसान पहुंचाया था।
उस समय कुछ विशेषज्ञों ने कहा था कि बेमौसम बारिश के कारण गेहूं की कम से कम 10 प्रतिशत फसल खराब हुई है। तीसरे अग्रिम अनुमान के दावे असल उत्पादन के करीब होते हैं।
2022-23 फसल सत्र (जुलाई से जून) में गेहूं के उत्पादन में बढ़ोतरी का अनुमान इसलिए भी आश्चर्यजनक है क्योंकि सरकारी एजेंसियों के गेहूं खरीद में 260 लाख टन के बाद ज्यादा प्रगति नहीं हुई, जो 341 लाख टन के लक्ष्य की तुलना में करीब 31 प्रतिशत कम है। हालांकि खरीद पिछले साल की तुलना में बहुत ज्यादा है, जब खरीद कई साल के निचले स्तर 190 लाख टन रही थी।
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गेहूं के उत्पादन के अनुमान और सरकारी खरीद के आंकड़ों में संबंध न होने की एक वजह यह भी है कि निजी कारोबारियों ने इस साल बड़े पैमाने पर खरीद की है, जिससे उनके गोदाम भरे जा सकें, जो बहुत कम हो चुके थे।
बहरहाल चने का उत्पादन 135.4 लाख टन रहने की संभावना है, जो पिछले साल के करीब है। वहीं सरसों का उत्पादन 124.9 लाख टन रहने का अनुमान है, जो पिछले साल की तुलना में 4.43 प्रतिशत ज्यादा है।