देश के कई इलाकों में तेज गर्मी के बीच भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) दूध और दूध से बने उत्पादों जैसे खोवा, छेना, पनीर, घी मक्खन, दही और आइसक्रीम आदि की देशव्यापी जांच अभियान चलाएगा, जिससे मिलावट पर लगाम लगाई जा सके। संगठित व असंगठित दोनों क्षेत्रों से नमूने एकत्र कर जांच की जाएगी।
एक आधिकारिक बयान में कहा गया है, ‘दूध को जांच के लिए चुनने के पीछे तर्क यह है कि हमारी खाद्य संस्कृति (food culture) में दूध की अहम भूमिका है। इसका सीधे इस्तेमाल होता है, या प्रसंस्करण (processed) से अलग-अलग डेरी उत्पाद बनाए जाते हैं। दूध में तमाम पोषक तत्व होते हैं। हर उम्र वर्ग के लोग दूध या दूध से बने उत्पाद रोजाना के खानपान में इस्तेमाल करते हैं।’
खाद्य वस्तुओं में दूध में सबसे ज्यादा मिलावट होती है। केंद्र सरकार की विभिन्न पहल के कारण भारत का कुल दूध उत्पादन 2014-15 से 14.631 करोड़ टन से बढ़कर 2021-22 में 22.11 करोड़ टन हो गया है।
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उद्योग के कुछ अनुमान के मुताबिक इसमें से 70 प्रतिशत दूध मिलावटी होता है, जबकि FSSAI द्वारा कराए गए पिछले देशव्यापी सर्वे नैशनल मिल्क सेफ्टी ऐंड क्वालिटी सर्वे (National Milk Safety and Quality Survey) के मुताबिक दूध के कुल 6,432 नमूनों में से सिर्फ 0.19 प्रतिशत मिलावटी पाया गया था।
बयान में कहा गया है कि लाइफस्टाइल बदलने के साथ स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता बढ़ रही है और इससे दूध और इसके उत्पाद की खपत बढ़ी है।