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तिलहन के रकबे में 10 फीसदी की वृद्धि का अनुमान

Last Updated- December 07, 2022 | 7:45 AM IST

तिलहन के कारोबारियों का अनुमान है कि मौजूदा वित्तीय वर्ष में तिलहन के रकबे में अच्छी-खासी वृद्धि होगी।


कारोबारियों ने ये अनुमान पिछले साल यानि 2007-08 में तिलहन की खेती से किसानों को बेहतर मुनाफा मिलने के चलते लगाए हैं। बाजार सूत्रों के मुताबिक, खरीफ सत्र 2008 में तिलहन के रकबे में लगभग 10 से 12 फीसदी तक की बढ़ोतरी हो सकती है।

हालांकि साल 2007 के खरीफ सत्र के दौरान 1.776 करोड़ हेक्टेयर क्षेत्र में तिलहन की पैदावार हुई थी, जो 2006 सीजन में 1.683 करोड़ हेक्टेयर की तुलना में 9.2 लाख हेक्टेयर ज्यादा था। कारोबारियों के अनुसार, पिछले साल तिलहन के भाव काफी ऊंचे रहे हैं, इस वजह से किसानों को इससे अच्छा-खासा मुनाफा हुआ है। पिछले साल मिले बेहतर मुनाफे से उत्साहित किसानों द्वारा इस साल तिलहन के उत्पादन क्षेत्र में वृद्धि करने का अनुमान इस पेशे से जुड़े लोगों ने लगाए हैं।

सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसियशन के कार्यकारी निदेशक बी.वी.मेहता ने बताया कि पिछले साल किसानों को तिलहन की खेती से काफी बढ़िया मुनाफा मिला था। इसके चलते उम्मीद की जा रही है कि पिछले साल की तुलना में इस साल ज्यादा किसानों द्वारा तिलहन की खेती की जाएगी। वैसे भी पिछले साल महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश जैसे बड़े गन्ना उत्पादक क्षेत्रों में गन्ने की फसल से किसानों को बेहतर रिटर्न नहीं मिला था।

लिहाजा ये उम्मीद भी है कि गन्ना पैदा करने वाले किसानों का एक वर्ग गन्ने की बजाय तिलहन की खेती की ओर रुख करेगा।  उनकी माने तो इस साल तिलहन के रकबे में 5 से 10 फीसदी की वृद्धि होने का पूरा अनुमान है। इंडियन ऑयलसीड्स एंड प्रॉडयूस एक्सपोर्टर्स एसोसियशन से जुड़े मुंबई के एक कारोबारी ने बताया कि पिछले साल मूंग, उड़द, चना जैसे दालों की कीमतों के रेकॉर्ड स्तर तक पहुंचने के पीछे तिलहन के रकबे में हुई वृद्धि थी।

सोयाबीन, तिल और मूंगफली ने न केवल इनके उत्पादन क्षेत्र को कम किया बल्कि इनकी उपज पर भी असर डाला है। उनके मुताबिक, पिछले साल तिलहन से बेहतर फायदा मिलने से अनुमान लगाया जा रहा है कि अब किसानों द्वारा बीजों और उर्वरकों पर ज्यादा खर्च किया जाएगा। इससे तिलहन की उत्पादकता पर सकारात्मक असर पड़ने का अनुमान लगाया जा रहा है।

अहमदाबाद कमोडिटी एक्सचेंज के प्रवीण ठक्कर का कहना है कि बीज के आपूर्ति करने वालों से सूचना मिल रही है कि किसान अरंडी की अच्छी गुणवत्ता वाले बीजों को खरीद रहे हैं। सूचना तो ये भी है कि अरंडी, सरसों की कीमतें रेकॉर्ड को छू रही हैं और तिल की कीमतों में भी मजबूती बनी हुई है। हालांकि, तिलहन का उत्पादन मानसून पर काफी निर्भर है।

उल्लेखनीय है कि तिलहन की फसल मौसम के प्रति काफी संवेदनशील होता है और इसकी पैदावार के लिए जरूरी है कि नियमित अंतराल पर बारिश होता रहे। कारोबारियों ने बताया कि वे इस समय तिलहन के उत्पादन अनुमान के बारे में कुछ अनुमान नहीं लगा सकते। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, गुजरात, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र देश में तिलहन के मुख्य उत्पादक राज्यों में हैं।

First Published - June 27, 2008 | 12:09 AM IST

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