देश के ज्यादातर बाजारों में 1 अक्टूबर से लेकर बीते सप्ताह तक अंडे के दाम में 34 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। कारोबारियों और बाजार के सूत्रों के मुताबिक अंडे के दाम बढ़ने का मुख्य कारण सर्दी में मांग बढ़ना, मुर्गी दाने का दाम बढ़ना और अचानक से मलेशिया के निर्यात में उछाल आना है।
अक्टूबर से पहले कुछ समय तक अंडे के दाम में कुछ गिरावट आई थी। कारोबारियों के मुताबिक मुर्गी दाने के दाम से अंडे की कीमत निर्धारित होती रहेगी। वैसे गर्मियों में अंडे की कीमत में गिरावट आती है। पोल्ट्री फेडरेशन ऑफ इंडिया के कोषाध्यक्ष रिकी थापर के मुताबिक, ‘मलेशिया का निर्यात बाजार खुलने के कारण मांग अच्छी है और मुर्गी दाने के दाम बढ़ने के कारण लागत भी बढ़ गई है। इससे फरवरी तक दाम मजबूत रहेंगे।’
कारोबारी सूत्रों के अनुसार 1 जनवरी के बाद से अब तक मलेशिया ने 5 करोड़ अंडों का ऑर्डर दिया। भारत आमतौर पर ओमान और सऊदी अरब को अंडे का निर्यात करता है लेकिन मलेशिया नए बाजार के रूप में उभरा है। मलेशिया के घरेलू बाजार में अंडों की कमी हो चुकी है। खबरों के अनुसार मलेशिया में छोटे निवेशक मुर्गी दाने की कीमत बढ़ने के कारण उत्पादन कम कर रहे हैं।
इससे मलेशिया में अंडों की कमी हो गई। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने कुछ हफ्ते पहले अपनी रिपोर्ट में बताया था कि वैश्विक स्तर पर भी अंडों की कमी हो गई थी। कई देशों में अत्यधिक रोगजनक ‘एवियन इन्फ्लूएंजा’ फैला। इसे आमतौर पर बर्ड फ्लू कहा जाता है। इससे कई देशों में अंडों की आपूर्ति पर असर पड़ा। इससे पोल्ट्री आयात करने वाले देशों ने कारोबार पर प्रतिबंध लगाए और पहले से ऊंचे खाद्य उत्पादों के दामों पर दबाव डाला।
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नेशनल एग कॉर्डिनेशन कमेटी के संजीव चिंतावार ने कहा कि भारत में हर सप्ताह करीब 210 करोड़ अंडों का उत्पादन हुआ। इसमें से करीब एक करोड़ अंडों का निर्यात हुआ (5 करोड़ का ऑर्डर दिया गया)।
चिंतावार ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया,’इस मांग से मूल्य में मुश्किल से कोई फर्क पड़ेगा। मेरी समझ के अनुसार मुख्य कारण मुर्गी दाने के दामों में उछाल आना है।’उन्होंने कहा कि भारत में मुर्गीदाने में मुख्यतौर पर दो घटक मक्का और सोयामील थे। बीते कुछ वर्षों में इनके दाम बढ़े।