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आयात से संकट में घिरा देसी जूट उद्योग

Last Updated- December 05, 2022 | 5:12 PM IST

सरकारी अनुमान के मुताबिक जुलाई 2007 से जनवरी 2008 के बीच बांग्लादेश से होने वाले जूट से बने सामान के आयात में रकम के लिहाज से 115 फीसदी की और मात्रा के लिहाज से 78 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की जाएगी।


इसका मतलब ये हुआ कि भारतीय जूट इंडस्ट्री के भविष्य पर एक बार फिर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। इसके साथ ही इसी देश से कच्चे जूट केआयात में इस दौरान मात्रा के लिहाज से 35 फीसदी की बढ़ोतरी होगी जबकि रकम के लिहाज से इसमें 7.2 फीसदी का इजाफा होगा।


बांग्लादेश के जूट के सामान से भारतीय बाजार पट गए हैं क्योंकि हाल ही में सरकार ने ऐसे सामान को आयात कर से मुक्त कर दिया है। जूट इंडस्ट्री ने कहा है कि अगर सरकार देसी उद्योग को बचाना चाहती है तो उन्हें फौरन अपना आदेश वापस ले लेना चाहिए। इंडस्ट्री ने कहा है कि पहले से ही मुसीबत में घिरे इस उद्योग के सामने आने वाले समय में मुसीबत का पहाड़ टूट पड़ेगा।


जनवरी-जुलाई 2007 केदौरान 34208 टन जूट से बने सामान का आयात हुआ। इंडस्ट्री का अनुमान है कि 2008 की इसी अवधि में ऐसे सामान का आयात 61158 टन को पार कर जाएगा। रकम के लिहाज से यह 79.67 लाख के मुकाबले 1.72 करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच जाएगा।


अगर कच्चे जूट की बात की जाए तो यह पहले के 4.94 लाख बेल्स के मुकाबले 6.69 लाख बेल्स के स्तर पर पहुंच जाएगा। रकम के लिहाज से यह 1.25 करोड़ के मुकाबले 1.34 करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच जाएगा। अप्रैल 2007 से जनवरी 2008 के बीच जूट के उत्पादन में पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इस दौरान देसी खपत 11.85 लाख टन के मुकाबले 12.63 लाख टन के स्तर पर पहुंच गया है।


ऐसे समय में निर्यात में भी पहले के 1.67 लाख टन के मुकाबले 1.76 लाख टन के स्तर पर पहुंच गया है। वैसे अप्रैल-जून 2006 के 66 हजार टन के निर्यात के मुकाबले अप्रैल-जून 2007 में कुल निर्यात गिरकर 60 हजार टन के स्तर पर आ गया है। इस तरह इसकी कुल वैल्यू 258 करोड़ केमुकाबले 256 करोड़ रुपये के स्तर पर आ गई है।

First Published - March 28, 2008 | 12:27 AM IST

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