गुजरात में इस महीने हुई अच्छी बारिश से खरीफ फसल के बेहतर होने की उम्मीद बढ़ गई है। राज्य में छिटपुट हुई बारिश से खरीफ फसल के संदर्भ में अनिश्चितता बढ गई थी।
हालांकि, पिछले पखवाड़े के दौरान इस स्थिति में नाटकीय बदलाव आया है। फिलहाल चल रहे खरीफ फसल की बुआई के सीजन में अभी तक 74.87 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में विभिन्न फसलों की बुआई हो चुकी है जबकि लक्ष्य 90 लाख हेक्टेयर क्षेत्र का है।
स्पष्ट है कि राज्य में 87.23 प्रतिशत बुआई संपन्न हो चुकी है। इसके अलावा आने वाले दिनों में अतिरिक्त 12 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में खरीफ फसल की बुआई की जा सकती है। अगस्त महीने में गुजरात में लगभग 6.15 लाख हेक्टेयर में बुआई की गई जिसमें कपास (1.23 लाख हेक्टेयर), धान (0.68 लाख हेक्टेयर), अरंडी (0.96 लाख हेक्टेयर), बाजरा (0.52 लाख हेक्टेयर), मक्का (0.52 लाख हेक्टेयर), ग्वार (0.24 लाख हेक्टेयर) और तूर (0.06 लाख हेक्टेयर) शामिल हैं।
वैसे सभी क्षेत्रों में, जहां मॉनसून के आने के समय में बारिश नहीं हुई थी, इस महीने अच्छी बारिश हुई है। इस साल केवल कच्छ एक अपवाद रहा है। राज्य के कृषि विभाग के आकड़ों के मुताबिक 10 अगस्त 2008 तक लगभग 74.87 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में खेती की गई है जबकि पिछले वर्ष की समान अवधि में 85.32 लाख हेक्टेयर जमीन पर खरीफ की बुआई की गई थी।
गुजरात में मूंगफली की बुआई संपन्न हो चुकी है। उल्लेखनीय है कि गुजरात देश में मूंगफली का सबसे बड़ा उत्पादक है। पिछले वर्ष 16.65 लाख हेक्टेयर में मूंगफली की खेती की गई थी जबकि तीन सालों का औसत 17.77 लाख हेक्टेयर था। हालांकि, इस साल मूंगफली की खेती के क्षेत्र में बढ़ोतरी हुई है और यह 17.73 लाख हेक्टेयर हो गया है।
राज्य में हुई बारिश से कपास की बुआई में भी मदद मिली है। यद्यपि ऐसा अनुमान है कि कपास की खेती का क्षेत्र इस वर्ष पिछले साल के मुकाबले 2 लाख हेक्टेयर कम होगा। राज्य के कृषि विभाग के सूत्रों ने आशा जताई कि कपास की बुआई के क्षेत्र में इजाफा होगा। अभी तक 22.96 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में कपास की बुआई हो चुकी है, जबकि कपास की बुआई का कुल औसत क्षेत्र 24.90 लाख हेक्टेयर था।
अच्छी बारिश को देखते हुए तंबाकू, धान, अरंडी, दलहन और सब्जियों की खेती में तेजी आने की उम्मीद है। राज्य के सरकारी अधिकारियों को भरोसा है कि इस साल लक्ष्य से अधिक क्षेत्र में खरीफ फसल की बुआई होगी। 15.35 लाख हेक्टेयर में अनाजों की बुआई की गई है जबकि लक्ष्य 19.90 लाख हेक्टेयर का था। दलहन और तिलहन की खेती क्रमश: 5.48 लाख हेक्टेयर और 23.08 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में की गई है।