facebookmetapixel
भारतीय IT कंपनियों को लग सकता है बड़ा झटका! आउटसोर्सिंग रोकने पर विचार कर रहे ट्रंप, लॉरा लूमर का दावाये Bank Stock कराएगा अच्छा मुनाफा! क्रेडिट ग्रोथ पर मैनेजमेंट को भरोसा; ब्रोकरेज की सलाह- ₹270 के टारगेट के लिए खरीदेंपीएम मोदी इस साल UNGA भाषण से होंगे अनुपस्थित, विदेश मंत्री जयशंकर संभालेंगे भारत की जिम्मेदारीस्विगी-जॉमैटो पर 18% GST का नया बोझ, ग्राहकों को बढ़ सकता है डिलिवरी चार्जपॉलिसीधारक कर सकते हैं फ्री लुक पीरियड का इस्तेमाल, लेकिन सतर्क रहेंGST 2.0: छोटे कारोबारियों को 3 दिन में पंजीकरण, 90% रिफंड मिलेगा तुरंतSwiggy ऐप पर अब सिर्फ खाना नहीं, मिनटों में गिफ्ट भी मिलेगाGST कटौती के बाद छोटी कारें होंगी 9% तक सस्ती, मारुति-टाटा ने ग्राहकों को दिया फायदा48,000 करोड़ का राजस्व घाटा संभव, लेकिन उपभोग और GDP को मिल सकती है रफ्तारहाइब्रिड निवेश में Edelweiss की एंट्री, लॉन्च होगा पहला SIF

गेहूं, चना, सरसों समेत 7 कमोडिटी की फ्यूचर ट्रेडिंग पर लगी रोक अगले एक साल के लिए रहेगी जारी

Last Updated- December 21, 2022 | 1:14 PM IST
Mustard seeds

बढ़ती महंगाई को ध्यान में रखते हुए 7 एग्रीकल्चर कमोडिटी पर  पिछले एक साल से वायदा कारोबार पर लगी रोक को एक और वर्ष के लिए बढा दिया गया है।  सेबी की तरफ से  देर रात इस संबंध में आदेश जारी किए गए।

जिन सात जिंसों में वायदा कारोबार को अगले एक और साल के लिए बढ़ाया गया है उसमें सोयाबीन (Soybean), सरसों (Mustard Seed), चना (Chana), गेहूं (Wheat), धान (Paddy), मूंग (Moong) और कच्चे पाम तेल (Crude Palm Oil)  शामिल है।

इन सभी कमोडिटी पर रोक अब 20 दिसंबर 2023 तक बनी रहेगी।

इन 7 कमोडिटी की फ्यूचर ट्रेडिंग पर लगी रोक की समय सीमा 20 दिसंबर को समाप्त हो रही थी। 20 दिसंबर 2021 को इन सभी एग्रीकल्चर कमोडिटी में वायदा कारोबार पर रोक लगाई थी।

फ्यूचर कमोडिटी ट्रेडिंग पर लगी रोक को बढाने  के पीछे ये सोच है कि इससे बढ़ती कीमतों पर कुछ लगाम लगाए जाने में मदद मिलेगी।  इसी महीने जारी महंगाई दर के आंकड़ों में WPI (Wholesale Price Index) पर आधारित थोक महंगाई दर 14.23 फीसदी पर आ गई थी । वहीं CPI (Consumer Price Index) पर आधारित रिटेल महंगाई दर 4.91 फीसदी पर जा पहुंची थी।

देश में खुदरा महंगाई भले पहले से नीचे आ गई हो, लेकिन ये अभी भी भारतीय रिजर्व बैंक (RBI)  के दायरे की ऊपरी सीमा यानी 6 फीसदी के आसपास बनी हुई है। खुदरा महंगाई को बढ़ाने में खाद्य महंगाई दर (Food Inflation) की अहम भूमिका होती है। ऐसे में खाद्य वस्तुओं की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने इन जिंसों के वायदा कारोबार पर लगी रोक को जारी रखा है ।

दलहन और तिलहन के मामले में भारत को आयात पर भी निर्भर करना पड़ता है, क्योंकि इनकी खपत के मुकाबले पैदावार कम है। ऐसे में इन दोनों कमोडिटी में महंगाई तेजी से बढ़ती है।

First Published - December 21, 2022 | 11:59 AM IST

संबंधित पोस्ट