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कपास के बढ़े दाम से अपैरल शेयर होंगे प्रभावित

Last Updated- December 11, 2022 | 4:06 PM IST

 विपरीत मौसम हालात के साथ साथ कम फसल पैदावार ने कपास कीमतों में भारी तेजी को बढ़ावा दिया है। अगस्त के महीने में अब तक कपास कीमतें 11 प्रतिशत चढ़कर पूर्व के 45,296 रुपये प्रति गांठ से 50,600 रुपये पर पहुंच गई हैं। घरेलू कताई मिलों ने या तो अपना उत्पादन घटाया है या घरेलू मांग पूरी करने के प्रयास में मौजूदा माल का इस्तेमाल करने पर जोर दिया है। इसकी वजह मौजूदा धागा कीमतें, कीट संक्रमण और असमान और अत्य​धिक बारिश है। 
गुजरात, तमिललनाडु, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे अ​धिक कपास उत्पादन वाले राज्यों ने कम मांग और ऊंची जिंस कीमतों की वजह से उत्पादन घटाया है। 
विश्लेषकों का कहना है कि जहां दीर्घाव​धि में इस संकट से मजबूत इन्वेंट्री वाली कंपनियां लाभ उठा सकती हैं, वहीं अल्पाव​धि में टेक्स्टाइल कंपनियों पर मार्जिन दबाव पड़ सकता है। उन्होंने प्राकृतिक फाइबर की कीमतें अल्पाव​धि में ऊंची बने रहने पर  निवेशकों को सूती धागा और अपैरल निर्माता कंपनियों पर सतर्क बने रहने का सुझाव दिया है। एचडीएफसी सिक्योरिटीज के शोध प्रमुख दीपक जसानी ने कहा, ‘टेक्सटाइल उद्योग में, सूती धागा निर्माताओं को मार्जिन दबाव और कम मुनाफे की वजह से चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। कपड़ा विक्रेताओं पर भी दबाव बना रह सकता है। इसलिए हम निवेशकों को केपीआर मिल्स, गोकलदास एक्सपोर्ट्स, और एसकेएफ इंडिया जैसे गारमेंट निर्माताओं या निर्यातकों के शेयरों पर ‘होल्ड’ की रणनीति अपनाने का सुझाव दे रहे हैं।’
शेयर बाजारों पर, केपीआर मिल्स, वेलस्पन इंडिया और वर्धमान टेक्स्टाइल्स जैसी कंपनियों के शेयर कैलेंडर वर्ष 2022 में अब तक 45 प्रतिशत तक गिर चुके हैं। 
ऐस इ​क्विटी के आंकड़े के अनुसार, इस बीच, एसकेएफ इंडिया, रेमंड और ग्रीव्स कॉटन के शेयरों में 53 प्रतिशत तक की तेजी आई है। वै​श्विक तौर पर, कई देश सूखे और गर्मी की वजह से गंभीर कपास उत्पादन किल्लत से प्रभावित हुए हैं।
सूखे से कपास का दुनिया में सबसे बड़ा निर्यातक अमेरिका भी नहीं बच पाया है। उद्योग विश्लेषकों को वहां उत्पादन 28 प्रतिशत घटने का अनुमान है, जो वर्ष 2010 से सबसे कम है। चीन, ब्राजील और आस्ट्रेलिया जैसे देशों के हालात भी इस संदर्भ में नाजुक बने हुए हैं।
पूरे देश में भारी कपास किल्लत के बावजूद विश्लेषकों का मानना है कि भारत कीमतें नरम पड़ने पर संकट से मुकाबला करने में सक्षम हो जाएगा।

First Published - August 31, 2022 | 10:24 PM IST

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