बुनियादी ढांचा से जुड़ी कई परियोजनाओं को स्थगित किए जाने से मांग में आई कमी के कारण चालू वित्त वर्ष के अंत तक स्टील की कीमतों में और 10 प्रतिशत की नरमी आ सकती है।
बीएनपी परिबा के नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, हॉट रॉल्ड कॉयल (एचआरसी) की कीमतें साल 2010 की प्रथम तिमाही में 780 डॉलर प्रति टन के वर्तमान आयातित मूल्य से घट कर 700 डॉलर प्रति टन की और तिमाही स्तर पर आ सकती हैं।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अगले वित्त वर्ष के आरंभ में इसकी कीमतें 650 डॉलर प्रति टन के स्तर को भी छू सकती है। हालांकि, कीमतों में बढ़ोतरी की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता है क्योंकि बुनियादी ढांचा से संबध्द कंपनियां मूल्य के इस स्तर पर फिर से खरीदारी की शुरुआत करेंगी ताकि उनकी चालू परियोजनाएं संपन्न हो सके और नये परियोजनाओं की शुरुआत हो सके।
बीएनपी का आकलन है कि एचआरसी की औसत कीमत अगले वित्त वर्ष के दूसरी और तीसरी तिमाही में लगभग 750 डॉलर प्रति टन रहेगी और चौथी तिमाही में इसकी कीमत 800 डॉलर प्रति टन के आसपास रहेगी।
चीन और सीआईएस क्षेत्र में मिलों की स्टील उत्पादन की लागत विश्व में सबसे कम है। स्टील की कीमतों में आई गिरावट का यह भी एक महत्वपूर्ण कारण है। इन क्षेत्रों में अतिआपूर्ति की वजह से बिलेट की कीमतें 1,200 डॉलर प्रति टन से घट कर 600 डॉलर प्रति टन हो गईं।
चीन के हाजिर बाजार में एचआरसी की कीमतें फिलहाल 600 डॉलर प्रति टन चल रही है जबकि अनुबंध की कीमतें कुछ अधिक, 700 डॉलर प्रति टन है। मांग में कमजोरी आने और घरेलू बाजार में अतिआपूर्ति से चीन और सीआईएस को उत्पादन लागत से थोड़े अधिक कीमतों पर स्टील का निर्यात करना पड़ रहा है।
चीन के एचआरसी की फ्री ऑन बोर्ड कीमत 600 डॉलर प्रति टन और बिलेट का मूल्य 600 डॉलर प्रति टन है। भारत में आयातित एचआरसी की कीमत 750 डॉलर से 800 डॉलर प्रति टन के बीच चल रही है। बिचौलियों द्वारा स्टॉक बनाए जाने से, जैसा कि पिछले तीन-चार महीनों में हुआ है, से कीमतों पर दबाव और बढ़ा है।
खरीदार कीमतों में और अधिक नरमी की आशा से पुनर्भंडारण को टाल रहे हैं जिसके परिणामस्वरूप स्टील की कीमतों में गिरावट आ सकती है। स्टील की वैश्विक कीमतों में लगातार आ रही गिरावट के कारण घरेलू उत्पादकों ने हाल ही में 2,000 रुपये से 4,000 रुपये प्रति टन की कमी की घोषणा की है।
वैश्विक मांग की गिरावट को देखते हुए भविष्य में कम से कम और 3,500 रुपये प्रति टन की कमी की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। मूल्य में कमी के बाद, शीर्ष उत्पादकों ने 38,000 रुपये प्रति टन से अधिक कीमत पर स्टील का बेचना जारी रखा है।
विश्लेषकों का मानना है कि चालू वित्त वर्ष के अंत तक स्टील की कीमतें घट कर 32,000 रुपये प्रति टन हो जाएगी। चीन, अमेरिका और यूरोप की मांग में आई कमी के कारण स्टील की वैश्विक कीमतों में कमी आई है।
निर्माण क्षेत्रों की कमजोर मांग और ऋण संकट, जिसकी वजह से खरीदारी में मुश्किलें आई हैं, के कारण भारत में स्टील के मांग की वृध्दि-दर पांच वर्षों के दहाई अंकों से घट कर 7 प्रतिशत रह गई है। साल 2001-2003 के दौरान जब बाजार में मंदी आई थी तो एचआरसी की कीमतें वैश्विक तौर पर उत्पादन की औसत लागत के 50 डॉलर से 100 डॉलर के बीच आ गई थी।
वर्तमान में, रुस की सेवेरास्टाल 480 डॉलर और टाटा स्टील 490 डॉलर की कीमत का उल्लेख कर रही हैं। विश्लेषकों को विश्वास है कि वाणिज्यिक एवं आवासीय कॉम्प्लेक्स के कमजोर परिदृश्यों के साथ-साथ उच्च महंगाई दर तथा ब्याज दरों के कारण बुनियादी ढांचा कंपनियां इस वर्ष अपने कार्य को आगे बढ़ाने के मामले में हतोत्साहित हुई हैं। अगले साल जब नया बजट आएगा तो मांग में तेजी आ सकती है।