मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने आज कहा कि केंद्रीय बजट में कर कटौती की घोषणा ने घरेलू अर्थव्यवस्था में मांग में बनी अनिश्चितता को कम कर दिया है। इस कदम से निजी क्षेत्र को पूंजी निर्माण में मदद मिलेगी। भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) की ओर से आयोजित बजट के बाद परिचर्चा में नागेश्वरन ने कहा, ‘यह एकदम साफ है कि बजट में शामिल कई प्रस्ताव मौजूदा भू-राजनीतिक और भू-आर्थिक अनिश्चितताओं के कारण आए हैं। कर कटौती और कर स्लैब में संशोधन भी इन्हीं हालात को ध्यान में रखते हुए किए गए हैं।’
मध्य वर्ग पर कर का बोझ कम करने के लिए ही वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नई कर व्यवस्था में बड़ा बदलाव किया है। बजट घोषणाओं के अनुसार नई व्यवस्था में 12 लाख रुपये तक सालाना कमाने वाले व्यक्ति को कोई कर नहीं देना पड़ेगा। मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा कि नई कर व्यवस्था में लोगों के पास बचने वाली रकम में बढ़ोतरी होगी। खपत और बचत दोनों ही लिहाज से यह भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा संकेत है। इससे मांग में वृद्धि होगी और निजी क्षेत्र को पूंजी निर्माण में मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा, ‘निजी क्षेत्र निश्चित रूप से निवेश कर रहा है। यह अलग बात है कि इस निवेश की गति उतनी नहीं है, जितनी सोची गई थी, क्योंकि इस सहस्राब्दी के पहले दशक में जब निवेश के लिए मानक तैयार किए गए थे, उस समय हालात बिल्कुल अलग थे।’ नागेश्वरन ने यह भी कहा कि हो सकता है कि सार्वजनिक पूंजीगत व्यय स्वाभाविक रूप से उसी गति से न हो, क्योंकि अब आधार बड़ा और बड़ा होता जा रहा है।
नागेश्वरन ने कहा, ‘बजट न केवल भारतीय अर्थव्यवस्था को गति देने वाले उपायों के बारे में आम लोगों के दिमाग में उठ रहे सवालों का जवाब देता है, बल्कि यह निजी क्षेत्र के लिए पूंजी निर्माण, ऊर्जा सुरक्षा, रोजगार और कौशल विकास जैसे मुद्दों को हल करते हुए मध्यम अवधि के विकास के लिए अर्थव्यवस्था को मजबूती देता है।’ केंद्रीय बजट ने पूंजीगत व्यय को 11.2 लाख करोड़ के स्तर पर रखा है जो पिछले वर्ष के संशोधित अनुमान 10. 18 लाख करोड़ से लगभग 10 फीसदी अधिक है।
लेकिन, नागेश्वरन यह भी कहते हैं कि केंद्र सरकार के सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों द्वारा पूंजीगत व्यय के अनुमान को ध्यान में रखते हुए वित्त वर्ष 26 में पूंजी निर्माण के लिए निधि 19.8 लाख करोड़ रुपये हो जाएगी जो वित्त वर्ष 25 में 18.7 लाख करोड़ रुपये थी।
मुख्य आर्थिक सलाहकार के अनुसार बजट में यह भी सुनिश्चित किया गया है कि ऊर्जा परिवर्तन के लिए आपूर्ति श्रृंखला में लचीलापन बना रहे क्योंकि सौर ऊर्जा और ई-गतिशीलता के लिए हम कई इनपुट के लिए एकल स्रोत पर निर्भर हैं। उन्होंने कहा कि ऊर्जा सुरक्षा और ऊर्जा सामर्थ्य के बिना जीडीपी में संभावित वृद्धि नहीं हो सकती। उन्होंने कहा, ‘विश्व के विभिन्न हिस्सों में आर्थिक मंदी और ठहराव के कारण ऊर्जा लागत बढ़ सकती है, जो ऊर्जा परिवर्तन उपायों से प्रेरित कहे जा सकते हैं।’