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बजट सत्र में राजनीतिक मुद्दे हावी रहने की उम्मीद

Last Updated- December 12, 2022 | 9:07 AM IST

शुक्रवार को शुरू हो रहे संसद के बजट सत्र में आर्थिक ही नहीं बल्कि राजनीतिक मुद्दों के भी हावी रहने की उम्मीद है। कोविड महामारी के कारण शीतकालीन सत्र रद्द कर दिया गया था जिसके बाद यह इस साल का पहला संसद सत्र होगा। कार्यसूची में सबसे महत्त्वपूर्ण 2021-22 के बजट और इससे संबंधित दस्तावेज, आर्थिक समीक्षा (29 जनवरी), केंद्रीय बजट (1 फरवरी) और वित्त आयोग की रिपोर्ट प्रस्तुत की जानी हैं। निजी डेटा सुरक्षा (पीडीपी) विधेयक पर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) अपनी रिपोर्ट के साथ तैयार है और इसे बजट सत्र के दौरान ही पेश किए जाने की उम्मीद है। डीएनए प्रौद्योगिकी (उपयोग एवं आवेदन) नियमन विधेयक और माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिक भरण पोषण एवं कल्याण विधेयक पर भी चर्चा होने और उसके बाद इसके पारित होने की संभावना है। लंबित कानूनों में गर्भपात संशोधन विधेयक और बांध सुरक्षा विधेयक शामिल हैं। यह सत्र कैलेंडर वर्ष में पहला संसद सत्र होगा इसीलिए राष्ट्रपति संसद के संयुक्त सत्र में अपना अभिभाषण देंगे। परंपरागत तौर पर राष्ट्रपति का संबोधन सरकार के ही लक्ष्यों के बारे में दी गई जानकारी होती है जिसे साल भर के दौरान पूरा करने की कोशिश की जाती है। राष्ट्रपति के इस अभिभाषण में विभिन्न मंत्रालयों से मिले इनपुट भी शामिल किए जाते हैं जिन्हें सरकार से मंजूरी मिली होती है।
हालांकि इस सत्र में विपक्ष के अधिक सक्रिय होने की संभावना है जिसकी वजह से यह सत्र हंगामेदार हो सकता है। इस दौरान मॉनसून सत्र में पारित तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों की भी बात होगी जिन्होंने इन कानूनों को वापस लेने की मांग की है जबकि सरकार ने इस मांग को मानने से इनकार कर दिया है। इसके अलावा कोविड-19 महामारी के प्रबंधन और वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर मौजूदा स्थिति जैसे मुद्दे भी विपक्ष उठा सकता है।
विपक्षी दल महामारी से निपटने, टीके के प्रभाव को लेकर व्यापक संदेह की स्थिति के बीच टीके के बारे में भी सवाल करेंगे। साथ ही कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए राज्यों के लिए अधिक वित्तीय सहायता के बारे में भी चर्चा की जा सकती है। बजट से इतर निजी डेटा संरक्षण विधेयक पर भी चर्चा हो सकती है और यह पहला ऐसा व्यापक कानून होगा जो डिजिटल तंत्र एवं व्यक्तिगत गोपनीयता के अधिकार से जुड़ा होगा। उच्चतम न्यायालय पहले ही यह फैसला सुना चुका है कि निजता का अधिकार मौलिक अधिकार है। सरकार ने डेटा सुरक्षा कानून का मसौदा तैयार किया है लेकिन इसे एक संयुक्त संसदीय समिति के पास भेजा गया। इसको लेकर बिंदुवार चर्चा होने के साथ ही  फेसबुक, व्हाट्सऐप, पेटीएम जैसी कंपनियों सहित 100 से अधिक हितधारकों के साथ बैठक हुई। इसके बाद जेपीसी द्वारा तैयार विधेयक में यह प्रस्ताव रखा गया कि जो कंपनियां अपने क्षेत्राधिकारों वाले सर्वर में डेटा रखती हैं वह भारत के अनुकूल नहीं हैं और दूसरे शब्दों में कहा जाए तो डेटा का कोई सख्त स्थानीयकरण नहीं होना चाहिए। सरकार द्वारा तैयार किए गए विधेयक में बदलाव किए गए हैं जो वैधानिक प्राधिकरण के आकार और संरचना से संबंधित हैं और ये डेटा उल्लंघनों के बारे में शिकायतें सुनेंगे। संयुक्त संसदीय समिति के एक सदस्य ने कहा, ‘हमने उन लोगों की आवाज को शामिल करते हुए विधेयक को फिर से तैयार करने की कोशिश की है जो इससे प्रभावित होंगे न कि केवल अफसरशाहों और सरकार की ही बात होगी।’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 30 जनवरी को एक वर्चुअल सर्वदलीय बैठक की अध्यक्षता करेंगे जिसमें इस साल के संसद के बजट सत्र के एजेंडे का फैसला किया जाएगा। राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू राज्यसभा में विभिन्न दलों के नेताओं के लिए अलग बैठक करेंगे।
ऐसी उम्मीद है कि विपक्षी दल कांग्रेस में कई बदलाव देखने को मिलेंगे। बजट सत्र के बीच में पार्टी को राज्यसभा में विपक्ष के एक नए नेता का नाम भी तय करना होगा क्योंकि राज्यसभा में विपक्ष के मौजूदा नेता गुलाम नबी आजाद का कार्यकाल फरवरी में समाप्त हो रहा है। लोकसभा में अधीर रंजन चौधरी कांग्रेस के नेता हैं लेकिन वह पश्चिम बंगाल में पार्टी की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष भी हैं जहां विधानसभा चुनाव होने हैं। उम्मीद यह है कि राज्यसभा में पूर्व केंद्रीय मंत्री मल्लिकार्जुन खडग़े सदन के नेता को टक्कर देते नजर आ सकते हैं। अब यह देखना बाकी है कि लोकसभा में कोई बदलाव होता है या नहीं।

First Published - January 28, 2021 | 10:52 PM IST

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