facebookmetapixel
घने कोहरे की मार: दिल्ली समेत पूरे उतरी क्षेत्र में 180 से अधिक उड़ानें रद्द, सैकड़ों विमान देरी से संचालितनए साल पर होटलों में अंतिम समय की बुकिंग बढ़ी, पर फूड डिलिवरी करने वाले गिग वर्कर्स के हड़ताल से दबावबांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया का निधन, विदेश मंत्री एस जयशंकर ढाका जाएंगे अंतिम संस्कार मेंकमजोर गर्मी-लंबे मॉनसून के चलते 2025 में सुस्त रहा उपभोक्ता टिकाऊ सामान बाजार, पर GST कटौती से राहत‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद बदला देश का सुरक्षा सिद्धांत, अब सीधे वार के लिए भारत तैयारउम्मीदों पर सवार ग्रामीण अर्थव्यवस्था! GST राहत और बढ़ी खपत ने संवारा, आय को लेकर उम्मीदें मजबूतMapmyIndia के मैपल्स ऐप में मेट्रो, रेल व बस रूट जुड़े, पब्लिक ट्रांसपोर्ट हुआ और आसान31 दिसंबर की गिग कर्मियों की हड़ताल से क्विक कॉमर्स पर संकट, जोमैटो-स्विगी अलर्ट मोड मेंAI से बदलेगा बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग उद्योग, कैपजेमिनाई-WNS डील ने खोली नई राहTata Power ने रचा इतिहास, राजस्थान में 1 गीगावॉट सौर परियोजना की सफल शुरुआत

आयकर में बदलाव की संभावना कम

Last Updated- December 11, 2022 | 10:47 PM IST

आगामी आम बजट में मौजूदा आयकर दरों में कोई बदलाव पेश किए जाने की संभावना नहीं है। सरकार में और बजट निर्माताओं के बीच सोच यह है कि कोविड-19 के संबंध में निरंतर अनिश्चितता तथा परिवारों की आय और बचत पर इसके प्रभाव के मद्देनजर कर दरों में कोई भी बदलाव विपरीत प्रभावकारी हो सकता है।
एक शीर्ष अधिकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया ‘अगर मौजूदा दरों में बदलाव किया जाता है, तो जहां एक ओर करदाताओं के कुछ वर्गों को लाभ हो सकता है, वहीं दूसरी ओर अन्य लोगों को आयकर की अपनी देनदारियों में वृद्धि देखने को मिल सकती है, क्योंकि सरकार को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि राजस्व कम से कम छूटे। विचार यह है कि शायद जनता कर
दरों में बड़े बदलाव के लिए तैयार नहीं हो।’
अधिकारी जूते-चप्पल और कपड़े के लिए हाल ही में घोषित वस्तु एवं सेवा कर की दरों में वृद्धि की ओर इशारा करते हैं। इन दो क्षेत्रों में उलट शुल्क संरचना को सुधारने के लिए 1 जनवरी, 2022 से प्रभावी जीएसटी को बढ़ाकर 12 प्रतिशत कर दिया गया था। जहां एक तरफ विशेषज्ञों ने इस कदम की सराहना की थी, वहीं दूसरी ओर सोशल मीडिया पर सार्वजनिक आलोचना हुई थी और कपड़ा उद्योग के एक वर्ग ने यह कहते हुए इसकी निंदा की थी कि इस क्षेत्र के केवल एक छोटे-से समूह में ही उलट शुल्क संरचना थी।
अधिकारी ने कहा, ‘यहां तक कि उल्टे शुल्क ढांचे में सुधार के लिए जीएसटी दरों में वृद्घि का भी कुछ विरोध हुआ था। यही बात प्रत्यक्ष कर दरों के मामले में भी हो सकती है जो दिखाता है कि संभवत: समय किसी भी प्रकार के बदलावों के लिए ठीक नहीं है।’
एक अन्य अधिकारी ने कहा कि यदि यह महामारी के लिए नहीं होता तो बड़े व्यक्तिगत आयकर सुधार सरकार के लिए जीएसटी और कॉर्पोरेट कर दर में कटौती के बाद सुधार का अगला मोर्चा होता। इन सुधारों से कर दरों में बड़े बदलाव किए जाते जिससे कुछ करदाताओं पर बोझ बढ़ सकता था।
वित्त मंत्रालय में कर घोषणाओं पर अभी भी चर्चा जारी है। हालांकि, कोविड-19 के ओमिक्रॉन रूप के कारण लगातार निश्चितता की कमी को देखते हुए और चूंकि बजट उत्तर प्रदेश और पंजाब जैसे अहम राज्यों में चुनावों से ऐन पहले पेश किया जाएगा ऐसे में राजनीतिक नेतृत्व दरों में बदलाव नहीं करने के रुख के साथ भी आगे बढ़ सकता है।
आयकर दरों में पिछला बदलाव 2020-21 के केंद्रीय बजट में किया गया था जो देश में महमारी की शुरुआत से थोड़ा पहले था। तब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कुछ निश्चित छूटों और कटौतियों को अपनाने के इच्छुक करदाताओं के लिए कर दरों में कटौती करने की घोषणा की थी। सालाना 5 लाख रुपये से 7.5 लाख रुपये की आय दायरे में आने वाले दर को 20 फीसदी से घटाकर 10 फीसदी कर दिया गया था।  

First Published - December 17, 2021 | 11:38 PM IST

संबंधित पोस्ट